अमित विक्रम (बाएं ), राजू सिंह (मध्य) और केशव कुमार(दाएं)
पटना:- बिहार सरकार ने शिक्षकों के ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर बड़ा फैसला लिया है, जिसे अब राज्य में लागू करने की तैयारी है. इस नई नीति से बीपीएससी से नियुक्त, पुराने और सक्षमता परीक्षा पास शिक्षकों को उनके गृह जिले में पोस्टिंग का अवसर मिलेगा. हालांकि बिहार के विभिन्न शिक्षक संघों ने इस नीति का कड़ा विरोध किया है. संघों की ओर से कई बिंदुओं पर आपत्ति जताई गई है. इसको लेकर लोकल 18 ने शिक्षक संघ बिहार, बिहार विद्यालय अध्यापक संघ और टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्षकों से बात की. सभी ने अनुचित बताते हुए इसे सुधारने की मांग की है. संघों का कहना है कि अगर सरकार ने इस पर पुनर्विचार नहीं किया, तो मामला हाईकोर्ट तक पहुंच सकता है.
शिक्षक संघों का विरोध, सुझाव की अनदेखी पर सवाल
बिहार विद्यालय अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम ने कहा कि यह नीति बिना शिक्षक संघों के सुझावों को ध्यान में रखे बनाई गई है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने शिक्षकों से संवाद किए बिना ही इस नीति को तैयार कर दिया है. अमित विक्रम का मानना है कि इस नीति में कई गंभीर खामियां हैं, जिनमें सुधार की जरूरत है. अगर जल्द ही इस पर बातचीत नहीं हुई, तो मामला अदालत में जाएगा और तब तक यह नीति लागू नहीं हो पाएगी.
एक अनुमंडल वाले जिलों में पुरुष शिक्षक कहां जाएंगे?
टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ के नेता राजू सिंह ने नई नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि पुरुष शिक्षकों को अनुमंडल स्तर पर पोस्टिंग करने का प्रावधान ठीक नहीं है. उन्होंने मांग की कि सक्षमता उत्तीर्ण शिक्षकों का ट्रांसफर अनिवार्य न होकर स्वैच्छिक होना चाहिए. कई जिलों में एक ही अनुमंडल है, ऐसे में पुरुष शिक्षकों के लिए उचित विकल्प क्या होगा? राजू सिंह ने यह भी मांग की कि विकलांग और गंभीर बीमारियों से पीड़ित शिक्षकों को गृह पंचायत में पोस्टिंग दी जानी चाहिए, ताकि उन्हें राहत मिल सके.
“खोदा पहाड़, निकला नाग”
शिक्षक संघ बिहार के प्रदेश अध्यक्ष केशव कुमार ने भी इस नीति पर असंतोष व्यक्त किया. उन्होंने इस नीति को शिक्षकों के लिए परेशानी का सबब बताया और कहा कि इस नीति को देखकर लगता है कि ‘खोदा पहाड़, निकला नाग’. इस नियमावली में कई कमियां हैं, जो राज्य की महिला शिक्षकों के लिए अनुचित हैं. उनका आरोप है कि बिहार की महिला शिक्षकों को गांवों में, जबकि बाहरी राज्यों की शिक्षिकाओं को शहरी क्षेत्रों में पोस्टिंग मिल रही है, जो अन्यायपूर्ण है.
मुख्य आपत्तियां, शिक्षक संघों की चिंताएं
1. पुरुष शिक्षकों का गृह अनुमंडल में पोस्टिंग नहीं हो सकेगा, जबकि कई जिलों में केवल एक अनुमंडल है. इस स्थिति में वहां के पुरुष शिक्षक कहां जायेंगे? जबकि BSEB द्वारा जारी रिजल्ट कार्ड में उन्हें अपना गृह जिला अलॉट हुआ है.
2. शहरी क्षेत्रों की महिला शिक्षकों की पोस्टिंग दूरस्थ गांवों में क्यों की जा रही है? गृह नगर निकाय में पोस्टिंग में क्या समस्या है?
3. विकलांग और गंभीर बीमारियों से पीड़ित शिक्षकों को गृह पंचायत या नगर निकाय में पोस्टिंग क्यों नहीं मिलेगी?
4. हर पांच साल में जबरन ट्रांसफर का प्रावधान, जो पहले कभी नहीं था, अब क्यों लागू किया जा रहा है?
5. इस नीति से यूपी और झारखंड के शिक्षकों को शहरी क्षेत्र में पोस्टिंग का लाभ मिलेगा, जबकि बिहार की महिला शिक्षिकाओं को गांवों में भेजा जा रहा है.
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संघों की मांग: प्रखंड स्तर पर हो ट्रांसफर
शिक्षक संघों का सुझाव है कि सरकार ट्रांसफर अनुमंडल स्तर की बजाय प्रखंड स्तर पर करे. इसके अलावा, पति-पत्नी के मामले में गृह अनुमंडल के बजाय निकटवर्ती प्रखंड में एक साथ पोस्टिंग की जाए, ताकि पारिवारिक समस्याएं न उत्पन्न हों. सरकार के इस फैसले के बाद अब देखना यह है कि क्या शिक्षक संघों की मांगों पर ध्यान दिया जाएगा या यह मामला अदालत में जाएगा.
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FIRST PUBLISHED :
October 8, 2024, 17:08 IST