बिहार: दलित वोटों के लिए राहुल-PK ने बिछाई बिसात, लालू ने भी चला नहले पर दहला

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Agency:News18India

Last Updated:February 06, 2025, 05:23 IST

Bihar Chunav 2025: राहुल गांधी महीने भर में दूसरी बार बुधवार को पटना पहुंचे. पहले आगमन पर संविधान सुरक्षा की चिंता के बहाने अंबेडकर को शिदद्त से राहुल ने याद किया था. दूसरी बार पटना आकर उन्होंने दलित समाज के ने...और पढ़ें

 दलित वोटों के लिए राहुल-PK ने बिछाई बिसात, लालू ने भी चला नहले पर दहला

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए सियासी दलों के बीच शुरू हुई दलित वोटों की मारामारी.

हाइलाइट्स

  • राहुल गांधी ने पटना में दलित नेता जगलाल चौधरी की जयंती मनाई.
  • बिहार चुनाव में दलित वोटों पर सभी दलों की नजर.
  • नीतीश कुमार ने 20 हजार करोड़ की योजनाओं की घोषणा की.

दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए पांच फरवरी को वोट डाले जा रहे थे. सबकी निगाहें दिल्ली चुनाव पर टिकी हैं. लड़ाई कांटे की मानी जा रही है. दिल्ली का चुनाव प्रचार खत्म होते ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी का बिहार दौरा ठीक उसी दिन हुआ, जिस दिन वहां वोट पड़े. उन्होंने कांग्रेस के पुराने नेता दलित समाज के जगलाल चौधरी की 130वीं जयंती पर पटना में आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत की. राहुल गांधी का महीने भर में यह दूसरा बिहार दौरा है. इससे पहले वे 18 जनवरी को बिहार आए थे. कांग्रेस सूत्रों की मानें तो राहुल गांधी ही नहीं, प्रियंका गांधी भी अब बिहार के दौरे पर आती रहेंगी.

राहुल गांधी के निशाने पर मीडिया
राहुल गांधी ने कार्यक्रम में मीडिया पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि मीडिया में दलित नहीं हैं. मीडिया हाउस को राज्य सरकारें विज्ञापन के जरिए फंडिंग करती हैं. ज्यूडिशियरी और ब्यूरोक्रेसी की भी यही हालत है. भारतीय बैंकों का पैसा डकारने वालों में कोई दलित नहीं है. इससे साफ है कि देश में दलितों की स्थिति कैसी है. राहुल का यह दलित प्रेम अनायास नहीं है. दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव में उनकी नजर दलित वोटों पर है. हालांकि वे ही नहीं, दूसरे दलों के नेता भी दलित प्रेम दर्शाने में पीछे नहीं हैं.

सभी दलों ने शुरू कर दी कवायद
बिहार में इस साल के आखिर में विधानसभा का चुनाव होना है. इसलिए सभी दल अपनी-अपनी गोटी बिठाने में लगे हुए हैं. बिहार में विपक्षी दलों का महागठबंधन पहले से ही बना हुआ है, जिसका नेतृत्व आरजेडी के हाथ में है. पर, अपने-अपने स्तर पर महागठबंधन के घटक दल कार्यक्रम कर रहे हैं. वे दलित वोटों को अपने पाले में करने की कोशिश कर रहे हैं. तेजस्वी यादव ने कार्यकर्ता संवाद यात्राएं कीं तो सीपीआई (एमएल) अपने स्तर से कार्यक्रम कर रही है. वीआईपी के मुकेश सहनी भी घूम ही रहे हैं, भले उन्होंने अपने दौरों का कोई नाम नहीं दिया है. महज 19 दिनों में दूसरी बार राहुल गांधी कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश भरने पटना आए.

नीतीश की घोषित योजनाएं मंजूर
इधर सत्ताधारी एनडीए का सम्मिलित कार्यकर्ता सम्मेलन हर जिलों में आयोजित हो रहा है तो खुद सीएम नीतीश कुमार प्रगति यात्रा के चौथे चरण की यात्राएं शुरू कर चुके हैं. हर दल और गठबंधन ने अपनी कवायद शुरू कर दी है. नीतीश कुमार ने अपनी प्रगति यात्रा के दौरान जिलों के लिए जिन योजनाओं की घोषणा अब तक की है, उसे मंगलवार को कैबिनेट से मंजूरी भी मिल गई. अब तक 20 हजार करोड़ की 188 योजनाओं की उन्होंने घोषणा की है. उन्हें मंगलावर को कैबिनेट से स्वीकति मिल गई.

दलित वोटों पर हर दल की नजर
इस बार चुनाव की एक खास बात अभी से दिख रही है. हर दल की पसंद दलित वोटर बने हुए हैं. कांग्रेस ने तो अब दलित और मुसलमान लोगों को अपना कोर वोटर ही मान लिया है. संविधान के बहाने बाबा साहेब अंबेडकर की याद कांग्रेस को शिद्दत से नजर आने लगी है. मुसलमानों की खैरख्वाह तो कांग्रेस शुरू से ही रही है. मुस्लिम वोटों को ध्यान में रख कर ही राजीव गांधी ने पीएम रहते सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट दिया था. जहां तक दलित वोटों का सवाल है तो राहुल गांधी संविधान को केंद्र कर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने 18 जनवरी को पटना आए थे. इस बार उन्होंने दलित समाजड से आने वाले जगलाल चौधरी के जयंती समारोह में शिरकत की.

RJD भी दलित वोटों के जुगाड़ में
बिहार में महागठबंधन का अग्रणी दल आरजेडी का पहले से मुस्लिम-यादव का एम-वाई समीकरण बना हुआ है. उससे दलित वोट अब दूर हो गए हैं. नीतीश कुमार ने दलित-महादलित कैटगरी बना कर दलितों के लिए जो काम किए, उससे कालांतर में दलित वोटर जेडीयू के साथ आ गए. पहले जरूर लालू यादव के कारण कांग्रेस छोड़ दलित वोटर आरजेडी के साथ चले गए थे. अब आरजेडी भी दलित वोटों के महत्व को समझने लगा है. एलजेपीआर के नेता चिराग पासवान के चाचा पशुपति पारस की आरएलजेपी से लालू ने नजदीकी दलित वोटों के लिए ही बढ़ाई है. लालू पारस के दही-चूड़ा भोज में शामिल हुए थे. उसके बाद दोनों की मुलाकात होती रही है.

PK को भी दलितों की हो रही चिंता
जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने दलित समाज के उत्थान के लिए अपनी पार्टी का विजन पेश किया है. वे दलित समाज की राजनीति में भागीदारी बढ़ाने की बात पहले से ही करते रहे हैं. अब वे उनके लिए पांच सूत्री संकल्प बता रहे हैं. प्रशांत किशोर की चिंता है कि दलित समाज के तीन प्रतिशत बच्चे ही 12वीं पास कर पाते हैं. उनका वादा है कि जन सुराज की सरकार बनने पर 50 प्रतिशत अंकों के साथ 10वीं पास करने वाले दलित समाज के बच्चों को आगे की पढ़ाई के लिए 2000 रुपए प्रतिमाह छात्रवृत्ति दी जाएगी. अंबेडकर छात्रावास का जीर्णोद्धार कराया जाएगा. अभियान चला कर तीन साल में शत प्रतिशत भूमिहीन दलित परिवारों को तीन डिसमिल जमीन दी जाएगी. दलितों को खेती से जोड़ने के लिए उन्हें सरकारी जमीन लीज पर दी जाएगी. दलित समाज के जो युवा स्वरोजगार करना चाहेंगे, उन्हें सरकारी गारंटी पर पूंजी दी जाएगी. राजनीतिक भागीदारी बढ़ाने के लिए वे कहते हैं कि जिस सीट पर दलित समुदाय की अच्छी आबादी है, उस सीट पर भी दलित समुदाय के व्यक्ति को टिकट दिया जाएगा. यानी जेनरल सीट से भी दलित उम्मीदवार उतारेंगे.

चिराग और मांझी तो दलित ही हैं
एनडीए में शामिल चिराग पासवान और जीतन राम मांझी तो अपने को दलित वोटों के ठेकेदार ही बताते हैं. चिराग की पार्टी एलजेपीआर और जीतन राम मांझी की पार्टी हम (HAM) तो एनडीए का ही हिस्सा हैं. इसलिए एनडीए के घटकों में दलित वोटों के लिए कोई मारामारी नहीं दिखती. अलबत्ता मांझी और चिराग में खींचतान जरूर चलती है. पर, दोनों का मकसद फिलवक्त एनडीए को लाभ पहुंचाना ही है.

Location :

Patna,Patna,Bihar

First Published :

February 06, 2025, 05:23 IST

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