मंदसौर. मध्य प्रदेश के मंदसौर से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. दलोदा गांव में एक परिवार ने अपनी जिंदा बेटी का क्रियाकर्म कर दिया. आपको सुनने में थोड़ा अजीब लग रहा होगा, लेकिन ये सच है. परिवार ने अपनी ही बेटी का जिंदा रहते हुए अंतिम क्रिया कर्म कर दिया. तस्वीर पर मौत की तारीख 12. 11.2024 लिखी है. युवती की तस्वीर को एक कुर्सी पर रखा गया. फिर उस पर माला टांग दी. जानिए आखिरकार जिंदा युवती की मौत की तारीख क्यों लिखा गया है? क्यों परिजन उसका पिंडदान कर रहे है?
मामला मंदसौर जिले के सीतामऊ तहसील के दलावदा गांव की है. यहां पर रानू उर्फ सरस्वती नाम की लड़की का उसके परिवार वालों ने 16 नवंबर को गोरनी (पिंडदान) का कार्यक्रम रखा. बकायदा इसके लिए उन्होंने शोक पत्र भी छपाई. शोक पत्रिका में लिखा, ‘अत्यंत दुख के साथ लिखने में आता है कि ग्राम दलावदा के खारोल मुकेश का राम-राम बचना. अरपंच अटे विनोद परिहार की बहन रेणु सरस्वती के घर से भाग जाने पर गोरनी का कार्यक्रम रखा गया है. गौरनी का कार्यक्रम अगहन विधि एकमे शनिवार को होगा.’
क्यों किया परिवार ने ऐसा
दरअसल परिवार ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि रानू उर्फ सरस्वती अपने परिवार की मर्जी के बगैर घर से बिना बताए 12 नवंबर को चली गई थी. बाद में परिजनों ने सीतामऊ पुलिस थाने पर गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाई. गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाने के बाद रानू जब वापस लौटी तो उसने अपने प्रेमी से शादी कर ली थी, जो परिवार वालों को नागवार गुजरा. परिजनों का कहना है कि रानू जब हमारी मर्जी के बगैर शादी करके थाने में आई तो उसने कहा कि मैं किसी को नहीं जानती, ना मेरी मां को जानती, ना भाई को जानती हूं, ना रिश्तेदारों को जानती हूं. जब रानू ने ऐसा कहा तो परिजनों ने उसे अपनी तरफ से मरा हुआ समझ लिया और उसकी अंतिम क्रिया कर्म भी कर दिया.
हिंदू रीति रिवाज के अनुसार अगर कोई बहन या बेटी की मौत हो जाती है तो उसके पीहर पक्ष के लोग गोरनी का कार्यक्रम रखते हैं. इसमें अपने रिश्तेदारों को बुलाते हैं और धूप ध्यान कर पिंडदान कर देते हैं. जिंदा लड़की के पिंडदान करने पर उसके परिजनों का कहना है कि जब उसने यह कह दिया कि मैं किसी को नहीं जानती तो हमारे लिए उसका पिंडदान करना ही जरूरी था.
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FIRST PUBLISHED :
November 16, 2024, 17:55 IST