ब्रज में सबसे पहले किसने खेली थी होली, कैसे हुई थी शुरुआत?

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Agency:News18 Uttar Pradesh

Last Updated:February 01, 2025, 23:20 IST

Braj Holi History successful hindi: ब्रज की होली का बड़ा महत्व है. दूर-दूर से काफी लोग होली के अवसर पर मथुरा, वृंदावन और बरसाना पहुंचते हैं.

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श्रीकृष्ण

श्रीकृष्ण होली खेलने बरसाना पहुंच जाया करते थे.

मथुरा: ब्रज की होली विश्व प्रसिद्ध है. यहां देश-विदेश के लाखों भक्त होली का उत्सव मनाने के लिए ब्रज पहुंचते हैं. सवाल यह उठता है कि होली की शुरुआत कैसे हुई थी और सर्वप्रथम ब्रज में होली किसने खेली थी? इस बारे में पद्मश्री मोहन स्वरूप भाटिया से जानते हैं और यह भी जानेंगे कि इस होली की क्या मान्यता है.

ब्रज में होली राधा की जन्मस्थली बरसाना से होती है शुरू 
ब्रज में होली का खुमार अपने आप में अलग महत्व रखता है. यहां की होली विश्व प्रसिद्ध है. देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु होली के अवसर पर यहां पहुंचते हैं. होली मनाने के लिए यहां प्रशासन और सरकार की तरफ से इंतजाम किए जाते हैं. यहां के पलों को यादगार बनाने के लिए शासन प्रशासन पूरी शिद्दत के साथ लग जाता है. कहा जाता है कि बसंत पंचमी पर होली का आगाज हो जाता है और ब्रज में लगभग 45-50 दिन होली का उत्सव अलग-अलग तरीके से खेला और मनाया जाता है. कोई होली में रंग की वर्षा करता है, तो कोई अबीर गुलाल उड़ाता है. ब्रज में होली का पर्व सतरंगी रूप में नजर आता है. आप जिधर नजर डालेंगे उधर होली के रंग में रंगे भक्त नजर आएंगे.

ब्रज में सर्वप्रथम होली कब खेली गई थी और होली की शुरुआत कैसे हुई थी इस बारे में पद्मश्री मोहन स्वरूप भाटिया ने बताया कि होली ब्रज के लिए एक अहम त्यौहार है. इस त्यौहार में हर ब्रजवासी अपने आप को उत्साहित कर ऊर्जा देता है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक, ब्रज में सबसे पहले होली श्रीकृष्ण और राधा ने खेली थी. कहा जाता है कि श्रीकृष्ण ने ही अपने ग्वालों के साथ होली खेलने की शुरुआत की थी. ब्रज में होली को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. यहां लड्डू होली, फूलों की होली, लट्ठमार होली, रंग-अबीर की होली खेली जाती है. ब्रज में होली का त्योहार कई दिन पहले से ही शुरू हो जाता है.

श्रीकृष्ण राधा से होली खेलने पहुंच जाया करते थे बरसाना
ब्रज में होली की परंपरा राधा की जन्मस्थली बरसाना से शुरू होती है. बरसाने की लठमार होली भगवान कृष्ण के काल में उनके द्वारा की जाने वाली लीलाओं का हिस्सा है. श्रीकृष्ण होली खेलने बरसाना पहुंच जाया करते थे. राधा और गोपियां श्रीकृष्ण पर डंडे बरसाती थीं. श्रीकृष्ण और उनके मित्र ढालों का इस्तेमाल करके बचते थे. धीरे-धीरे यह ढालों का इस्तेमाल करने की परंपरा होली की परंपरा बन गई.

Location :

Mathura,Uttar Pradesh

First Published :

February 01, 2025, 23:20 IST

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