भाग जाएंगी सभी मक्खियां होगा बड़ा नुकसान! इन बातों रखिए ध्यान

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प्रतीकात्मक

प्रतीकात्मक तस्वीर 

पश्चिम चम्पारण. मधुमक्खी पालकों की सबसे बड़ी समस्या में से एक है, मक्खियों का भाग जाना और छत्ते का बर्बाद हो जाना. हालांकि पालन के समय मधुमक्खी पालक हर एक पहलू पर ध्यान देते हैं, लेकिन इसके बावजूद भी अधिकांशतः मामलों मक्खियां भाग जाती हैं और आपको एक बड़े नुकसान का सामना करना पड़ता है. अब सवाल ये उठता है कि हर एक पहलू पर ध्यान देने के बावजूद भी आख़िरकार मधुमक्खियां क्यों भाग जाती हैं ? विशेषज्ञों ने इसपर विशेष जानकारी साझा की है, जिसके अनुसरण से आपको मधुमक्खी पालन में कभी भी नुकसान का सामना नहीं करना पड़ेगा.

पश्चिम चम्पारण ज़िले में पिछले 8 वर्षों से कार्यरत, मास्टर ट्रेनर शुभम श्रीवास्तव बताते हैं कि जिस प्रकार किसी लोकतांत्रिक देश को चलाने के लिए राज्य और केंद्र में एक मुखिया का चुनाव किया जाता है, ठीक उसकी प्रकार मधुमक्खियां भी शहद निर्माण और अपने पूरे इको सिस्टम को चलाने के लिए एक रानी मक्खी का चुनाव करती हैं. ध्यान देने वाली बात यह है कि कभी कभी एक बॉक्स में एक से रानी मक्खियों का वास होने लगता है, जिसे पालकों द्वारा नजरअंदाज कर दिया जाता है.बस यही वो सबसे बड़ा कारण बनता है, जिसकी वजह से पूरा का पूरा छत्ता बर्बाद हो जाता है.

भाग जाती हैं सभी मक्खियां 
दरअसल, एक बॉक्स में एक से अधिक रानी मक्खियों के रहने की स्थिति में उनमें लीडरशिप हेतु द्वंद शुरू हो जाता है, जो एक दूसरे की जान लेने के बाद ही खत्म होता है. ऐसे में कभी कभी छत्ते में एक भी रानी मक्खी नहीं बच पाती है. जिसकी वजह से छत्ते की अन्य मक्खियों में अराजगता की स्थिति पैदा हो जाती है और वो भाग कर किसी दूसरे छत्ते की तलाश करने लगती हैं. बस यही वो कारण है, जिसकी वजह से फल फूल रहा छत्ता अचानक से टूट जाता है और पलकों को इसकी कानों कान ख़बर तक नहीं लगती है.

एक छत्ते में होती हैं 50 हजार तक मक्खियां
बकौल शुभम, मधुमक्खी के एक छत्ते में करीब 30 से 50 हजार तक सदस्य होते हैं. इनमें रानी, नर और श्रमिक मक्खियां होती हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि शहद निर्माण के साथ छत्ते के इको सिस्टम को चलाने के लिए समूह की सभी श्रमिक मक्खियां खुद से ही एक रानी मक्खी का चुनाव करती हैं.

रानी के नेतृत्व में काम करती हैं सभी मक्खियां 
लार्वे से विकसित होकर जब रानी मक्खी बड़ी होती है, तब उसके नेतृत्व में ही छत्ते की सभी मक्खियां शहद निर्माण हेतु सभी कार्यों को अंजाम देती हैं. यहां समझने वाली बात यह है कि रानी मक्खी, समूह के ही नरों के साथ अपने जीवन काल में सिर्फ एक बार संभोग करती है और लगातार पांच सालों तक अंडे देती है. इस प्रकार मधुमक्खियों का जीवनचक्र चलता रहता है.

Tags: Bihar News, Local18, Saran News

FIRST PUBLISHED :

October 22, 2024, 11:25 IST

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