नरेंद्र मोदी भागलपुरी शॉल के साथ
भागलपुर का सिल्क देश-विदेश में अपनी पहचान बनाए हुए है, और यहां के सिल्क से बने कपड़ों की खासियत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एक नई ऊंचाई दी है. दरअसल, पीएम मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन के कार्यक्रम के दौरान भागलपुर के बने सिल्क चादर का उपयोग किया, जिससे इस क्षेत्र की प्रतिष्ठा और बढ़ गई है. यह चादर पूरी तरह से सिल्क के धागे से बना है और खास बात यह है कि इसे पावर लूम नहीं, बल्कि हैंडलूम पर तैयार किया गया है.
कैसे हुआ चादर का चयन
लतीफी सिल्क के निदेशक अहमद नदीम ने लोकल 18 को बताया कि भागलपुर से सिल्क के कपड़े देश और विदेश तक भेजे जाते हैं. प्रधानमंत्री के लिए यह चादर रेशम विभाग द्वारा चुना गया था. रेशम विभाग ने यहां से कई चादर बेंगलुरु भेजे थे, जिनमें से इस सिल्क चादर का चयन किया गया. 2 अक्टूबर को प्रधानमंत्री ने इसी चादर को ओढ़कर कार्यक्रम को संबोधित किया.
इसके अलावा, दिल्ली की टेक्सटाइल मंत्रालय की संयुक्त सचिव प्राजकता वर्मा ने भी इस चादर और भागलपुरी सिल्क की सराहना करते हुए ट्वीट किया. नदीम ने बताया कि उनके पूर्वजों के समय से ही सिल्क का कारोबार चल रहा है.
कैसे तैयार होती है यह चादर
हुसैनाबाद के बुनकर सुशील तांती, जिन्होंने इस चादर को बनाया है, ने बताया कि इसे हैंडलूम पर तैयार किया गया है. एक चादर बनाने में करीब 3 दिन लगते हैं, क्योंकि इसमें बहुत बारीकी से काम करना पड़ता है. यह चादर ताना-बाना की तकनीक से बनाई जाती है.
सुशील ने यह भी कहा कि बुनकरों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है, और उन्हें अधिक काम की आवश्यकता है ताकि उनकी आजीविका चलती रहे. हैंडलूम से तैयार कपड़े काफी मुलायम होते हैं, और वे दिए गए डिज़ाइन के अनुसार कपड़ा बनाते हैं.
किस तरह के धागों से तैयार हुई है यह चादर
अहमद नदीम ने बताया कि यह चादर तीन तरह के धागों से बनाई गई है, जिनमें तसर सिल्क, मलबरी सिल्क और एरी सिल्क शामिल हैं. खास बात यह है कि यह चादर फाइन धागों से नहीं बल्कि मीडियम सिल्क धागों से बनाई गई है. उन्होंने यह भी बताया कि एक कोकून से तीन तरह के धागे निकलते हैं—फाइन, मीडियम और लोवर. दीपावली तक इस चादर के बाजार में आने की संभावना है, हालांकि अभी इसकी कीमत तय नहीं हुई है. सिल्क की वस्तुएं महंगी होती हैं, और बाजार में उपलब्ध होने पर इसकी कीमत भी तय कर दी जाएगी.
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FIRST PUBLISHED :
October 7, 2024, 17:51 IST