भूरा माहों से फसल को कैसे बचाएं
जांजगीर चांपा: छत्तीसगढ़ में खरीफ फसल के रूप में मुख्य रूप से धान की खेती हो रही है, लेकिन वर्तमान समय में धान के खेतों में भूरा माहो कीट का प्रकोप देखा जा रहा है, जिससे फसल को भारी नुकसान हो सकता है. इसका प्रारंभिक लक्षण उन जगहों पर दिखाई देता है जहां धान घनी होती है और खाद की मात्रा अधिक होती है. इसमें पत्तियां गोल घेरे में पीली, भगवा और भूरे रंग की हो जाती हैं और सूख जाती हैं, जिससे पौधा गिर जाता है. यह कीट तेजी से फैलता है और पूरे खेत को प्रभावित कर सकता है.
भूरा माहो कीट का प्रकोप और इसके लक्षण
यह कीट पौधे के तने से चिपक कर रस चूसता है, खासकर पानी की सतह के ऊपर तने से इसके प्रभाव से पौधा सूखने लगता है. इस कीट को आप दूर से देख सकते हैं, क्योंकि यह गोल घेरे में पौधों को प्रभावित करता है. कीट वैज्ञानिकों के अनुसार, यह कीट धान के पौधों के तने पर पाया जाता है और इसके कारण पूरा पौधा नष्ट हो सकता है.
भूरा माहो से बचने के उपाय: कीट वैज्ञानिकों के सुझाव
लोकल 18 से बात करते हुए जांजगीर चांपा कृषि विज्ञान केंद्र के कीट वैज्ञानिक रंजीत कुमार मोदी ने बताया कि भूरा माहो कीट धान के पौधों के तने में पानी के ऊपरी हिस्से पर पाया जाता है और यह पौधे का रस चूसता है, जिससे पौधा धीरे-धीरे सूखने लगता है. अगर खेत में नाइट्रोजन का अत्यधिक छिड़काव किया गया हो, तो इससे पौधे मुलायम हो जाते हैं और भूरा माहो कीट का प्रकोप अधिक होता है. किसानों को सलाह दी जाती है कि वे फसलों का निरीक्षण नीचे तक करें क्योंकि कीट तने के निचले हिस्से में होते हैं.
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दवाइयों और जल प्रबंधन द्वारा समाधान
यदि एक पौधे में 15 से 20 कीट होते हैं, तो किसानों को तुरंत दवाओं का छिड़काव करना चाहिए. बाजार में पाईमेट्रोजिन, डायनेटोफिरान और फाईनैक्सोफिन जैसी कई दवाइयां उपलब्ध हैं जिनका इस्तेमाल किसान कर सकते हैं. कीट वैज्ञानिकों ने यह भी सुझाव दिया कि जिन किसानों के पास पानी की सुविधा हो, वे अपने खेतों में पानी भर दें. इससे कीट ऊपर की ओर चढ़ जाएंगे और फसल को नुकसान से बचाया जा सकेगा. पानी को समय-समय पर निकालना भी जरूरी है, साथ ही मेड़ों पर जाली लगाएं ताकि कीट दूसरे खेतों में न जा सकें.
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FIRST PUBLISHED :
October 21, 2024, 16:23 IST