कोडरमा. सब्जियों का राजा कहे जाने वाले आलू की खेती कर किसान कम समय में बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. आलू की मांग पूरे साल रहती है. इसी वजह से किसान इसकी खेती कर आय के बेहतर स्रोत भी बना सकते हैं. आलू की खेती करने के दौरान किन-किन छोटी-बड़ी बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए इसको लेकर कृषि वैज्ञानिक ने पूरी जानकारी साझा की है. उनका दावा है कि अगर किसान इस तकनीक को अपनाएंगे तो रोगमुक्त बंपर पैदावार पाएंगे.
कीटनाशक के साथ उर्वरक क्षमता बढ़ाएगी खली
कृषि विज्ञान केंद्र कोडरमा के वरीय कृषि वैज्ञानिक डॉ. एके राय ने लोकल 18 को बताया कि अक्टूबर के अंतिम सप्ताह तक आलू की बुवाई कर देने से पैदावार बेहतर होगी. करीब एक हेक्टेयर की खेत तैयार करने में 15 से 20 टन गोबर की पुरानी खाद मिट्टी में डालनी चाहिए. खेत के लिए मिट्टी तैयार करते समय यदि एक हेक्टेयर में 40-50 किलो नीम की खली भी डाल दी जाए तो खेती के दौरान होने वाले विभिन्न प्रकार के रोगों से भी फसल को बचाया जा सकता है. नीम की खली खेत में कीटनाशक के रूप में काम करने के साथ जमीन की उर्वरक क्षमता को भी बढ़ाती है.
बुवाई के दौरान न करें ये काम
विशेषज्ञ ने आगे बताया, आलू की बुवाई के लिए मेड़ को हमेशा 35-40 सेमी चौड़ा बनाना चाहिए. इससे आलू को पूरी तरह से पोषण मिल पाता है और आलू का बेहतर उत्पादन होता है. एक हेक्टेयर में आलू की खेती करने के लिए 80 KG पोटाश 80 केजी डीएपी मिट्टी में मिलना आवश्यक है. आलू के बीज की बुवाई से पहले बीज का उपचार करना बेहद आवश्यक है. बुवाई से पहले स्ट्रेप्टोसाइक्लिन या कॉर्बेंडाजिन बीज में अच्छी तरह से मिलाना चाहिए. कोल्ड स्टोरेज से आलू के बीज लाने पर तुरंत बुवाई नहीं करनी चाहिए. कोल्ड स्टोरेज से आलू के बीज लाने पर 3-4 दिन तक इसे खुली हवा में रखना चाहिए.
वैज्ञानिक विधि से फसल पर नहीं लगेगा पाला
आगे बताया, आलू के बीज लगाने के 25 से 30 दिन के बाद पहली सिंचाई करनी चाहिए. कई बार आलू के फसल में पाला लगने की भी समस्या सामने आती है. लेकिन, यदि वैज्ञानिक विधि से खेत की तैयारी, बीज का उपचार और फर्टिलाइजर एवं सिंचाई का प्रबंध किया जाए तो आलू की फसल में बीमारी लगने की संभावना काफी कम हो जाती है. एक एकड़ की खेती में 6-7 क्विंटल बीज लगाकर 90-110 दिन में करीब 300 क्विंटल तक का उत्पादन किसान आसानी से प्राप्त कर सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED :
October 21, 2024, 20:34 IST