भेड़ पालकों को सरकार से है यह आखिरी उम्मीद, सब्सिडी-लोन और मार्केटिंग की मांग

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Last Updated:January 19, 2025, 21:44 IST

Darnhanga News : भेड़ पालक किसान बताते हैं कि 100 भेड़ पालने से ही अच्छी आमदनी हो सकती है, लेकिन इसे बनाए रखना अत्यंत कठिन है. दरभंगा आए इन किसानों का कहना है कि चारे की तलाश में उन्हें नेपाल के तराई क्षेत्र तक जाना...और पढ़ें

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दरभंगा: भारत, जो कृषि प्रधान देश है, यहां किसान अपनी आजीविका के लिए अनेक प्रयासों में लगे रहते हैं. इन दिनों दरभंगा जिले के मोरो बिशनपुर में समस्तीपुर और बेगूसराय से आए भेड़ पालक किसानों का एक समूह ठहरा हुआ है. लगभग 500 भेड़ों को चराने और उनके लिए चारा जुटाने की कठिनाई के साथ ये किसान अपनी जीविका के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

भेड़ पालक किसान बताते हैं कि 100 भेड़ पालने से ही अच्छी आमदनी हो सकती है, लेकिन इसे बनाए रखना अत्यंत कठिन है. दरभंगा आए इन किसानों का कहना है कि चारे की तलाश में उन्हें नेपाल के तराई क्षेत्र तक जाना पड़ता है. चारा जुटाने और भेड़ों को चराने के लिए यह किसान पूरे साल अपने परिवार और गांव से दूर रहते हैं.

भेड़ का ऊन और मार्केटिंग की समस्या

ऊन का उत्पादन और बिक्री
किसानों का कहना है कि एक भेड़ से साल में लगभग 1.5 किलो ऊन (500 ग्राम प्रति कटाई) मिलता है, जिसे तीन बार काटा जाता है. लेकिन ऊन की सही मार्केटिंग न होने के कारण इसे गांव में ही सस्ते दामों पर बेचना पड़ता है. वर्तमान में ऊन की कीमत केवल ₹100 प्रति किलोग्राम है.

ऊन से बनी वस्तुएं
पहले इन भेड़ों के ऊन से कंबल और रजाई बनाई जाती थीं, जो गर्म और सॉफ्ट होती थीं. लेकिन रेडीमेड मार्केट के आने के बाद इसका प्रचलन कम हो गया. एक रजाई के लिए 5 किलोग्राम ऊन लगता है, लेकिन ऊन की मांग घटने से इसका बाजार ठप हो गया है.

सरकारी उदासीनता और लोन की समस्याएं
भेड़ पालकों का कहना है कि सरकार बकरी पालन पर विशेष ध्यान देती है, लेकिन भेड़ पालन को नजरअंदाज कर रही है.

लोन की समस्या
किसानों को भेड़ पालन के लिए लोन नहीं मिलता और अगर मिलता भी है, तो इसके लिए घूस देनी पड़ती है.

मार्केटिंग की व्यवस्था
ऊन की मार्केटिंग और इसके व्यापार के लिए कोई सरकारी सहायता नहीं है. पहले नेपाल तक ऊन खरीदने वाले आते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होता.

सरकार से उम्मीद
भेड़ पालक किसानों का मानना है कि अगर सरकार भेड़ पालन और ऊन मार्केटिंग के लिए कोई नीति बनाए, तो उनकी जिंदगी बदल सकती है. ऊन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार कंबल और रजाई निर्माण को प्रोत्साहित कर सकती है. भेड़ पालन पर सब्सिडी और आसान लोन योजनाएं शुरू की जा सकती हैं.

Location :

Darbhanga,Bihar

First Published :

January 19, 2025, 21:44 IST

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भेड़ पालकों को सरकार से है यह आखिरी उम्मीद, सब्सिडी-लोन और मार्केटिंग की मांग

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