भोपाल का प्राचीन पूजा पंडाल.
भोपाल. मध्य प्रदेश के भोपाल का इतिहास राजा-महाराजाओं और नवाबों से जुड़ा रहा है. यहां आजादी के समय से कई धार्मिक आयोजन होते रहे हैं. शहर के प्रत्येक चौराहे, बाजार, मंदिर और कॉलोनियों में माता रानी की झांकी सजी हुई है, मगर नवाबी रियासत के समय से चली आ रही एक झांकी के बारे में कम लोग ही जानते हैं. आज हम आपको एक ऐसी ही अनोखी झांकी के बारे में बताते हैं.
इस झांकी के लिए आज भी बीच सड़क में जगह छोड़ी जाती है. लगभग 75 साल पहले साल 1950 में शहर में पहली बार माता की झांकी जनकपुरी जुमेराती में पवैयाजी की दुकान में विराजमान की गई थी. फिर चार साल बाद इसे माता की मंड़िया में बैठाया गया, जिसके बाद सड़क के बीच चबूतरा बनाकर इसे भव्य रूप दिया गया. आज भी सड़क के बीच की जगह झांकी के लिए रिजर्व रहती है.
इस बार 75वां वर्ष
लोकल 18 से बात करते हुए दुर्गा उत्सव एवं श्री राम बारात समारोह समिति के अध्यक्ष राजेंद्र कुमार गुप्ता ने बताया कि मां दुर्गा की स्थापना का यह 75वां वर्ष है. नवाबी शान के दौरान सन 1950 में पहली बार देवी मां की स्थापना की गई थी. साथी सन 1960 से श्री राम बारात की शुरुआत की गई थी.
माता का श्रृंगार आकर्षण का केंद्र
समिति के अध्यक्ष राजेंद्र कुमार गुप्ता ने बताया कि मां दुर्गा का श्रृंगार आकर्षण का केंद्र रहता है, जिसे श्रद्धालु बड़ी संख्या में देखने आते हैं. सिर्फ आसपास ही नहीं शहर के कोने-कोने से लोग माता का आशीर्वाद लेने के साथ ही मुख्य रूप से उनका श्रृंगार देखने आते हैं.
ऐसे हुई झांकी की शुरुआत
शहर की माता की झांकी की शुरुआत साल 1950 में सबसे पहले लक्ष्मीनारायण गुप्ता, छोटे लाल वर्मा, नाथूराम गुप्ता, बाबूलाल गुप्ता, बाबूलाल विनोद और नंदन कुमार जैन ने संगठित होकर मां भगवती की प्रतिमा का निर्माण शाहजहांनाबाद में कराया था. नंदन कुमार जैन की जीप में मां को लाया गया था. वहीं, आज इन्हीं की चौथी पीढ़ी मां की आराधना में जुटी हुई है.
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FIRST PUBLISHED :
October 10, 2024, 20:36 IST