मंदिर जहां दी जाती भैंसे की बलि, आरती में शामिल होने से पूरी होती है मनोकामना

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यही नवचडी माता हे जिनके दर्शन को दूर दूर से आते हे, श्रद्धालु 

खंडवा: मध्य प्रदेश के खंडवा में बना नवचंडी देवी धाम मंदिर कई मायनों में खास है. जब ये मंदिर बना था तो यहां भैंसे की बलि दी जाती थी लेकिन भक्तों की प्रार्थना के बाद ये बलि देने की प्रथा बंद हो गई. अब पूजा के लिए दूसरे खास तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें मुख्य है पंच मसालों और 52 भैरव जोत से मां की पूजा और आरती. ये भी जान लें कि पंच मसालों और 52 भैरव जोत से आरती केवल देश के इसी मंदिर में होती है. कहीं और ये तरीका इस्तेमाल नहीं किया जाता.

पूरी होती है हर मनोकामना
इस मंदिर की आरती से जुड़ी ये मान्यता भी है कि जो भी इसमें शामिल होता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इसलिए भक्त देश के कोने-कोने से इस आरती में शामिल होने आते हैं. लोकल 18 से बात करते हुए यहां के महंत बाबा गंगाराम लोधी ने बताया कि जब मां नवचंडी का मंदिर बना था तब यहां पूजा के लिए भैंसे की बलि चढ़ाई जाती थी लेकिन माता की जब अनुकंपा हुई और उन्होंने दर्शन दिए तो उनसे प्रार्थना की गई की हमारे जाने के बाद यह संभव नहीं हों पायेगा यानी बलि नहीं दी जा सकेगी.

बदला आरती का तरीका
महंत बाबा आगे बताते हैं कि देवी जी से प्रार्थना की गई की वे ऐसा कोई रास्ता बताएं जिससे सनातन धर्म पूरी तरह मना सके और पूजा कर सके. तब से 52 भैरव जोत, पंच मसाला काकड़ आरती शुरू हुई. इसमें आटे के 52 दीपक बनते हैं और सवा किलो कपूर की आरती होती है. इस आरती में जो भी भक्त शामिल होता है उसकी हर इच्छा पूरी होती है.

कौन कर सकता है आरती?
पंच मसाल ज्योति आरती एक बड़ी थाली में होती है. इस विधि को वही कर सकता है जो देवी उपासक होता है . इस आरती में शामिल होने बाहर से भी लोग आते हैं. यह आरती पूरे भारत वर्ष में सिर्फ खंडवा शहर में इसी मंदिर में होती है, इसके अलावा कहीं नहीं. अगर कोई प्रयास भी करता है तो उसकी पूजा सफल नहीं हो पाती है. मां की प्रेरणा से नवचंडी धाम में विराजित देवी प्रतिमा चित्रकूट से लाई गई है.

Tags: Khandwa news, Local18, Mp news, Navratri festival

FIRST PUBLISHED :

October 7, 2024, 17:55 IST

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