छतरपुर: जिले के बदौराकलां गांव में मां देवी का एक ऐसा प्राचीन मंदिर है जहां श्रद्धालुओं की भीड़ बारह महीने लगी रहती है. मां देवी का यह मंदिर देवी के 52 शक्तिपीठों में से एक है. यहां मां को भद्रकाली नाम से जाना जाता है. इस मंदिर का संबंध राजा कर्ण से भी जुड़ा है. पुजारी शिव नारायण शर्मा लोकल 18 से बातचीत में कहते हैं कि मां के इस मंदिर का संबंध देवी के 52 शक्तिपीठों से है. आज इस धार्मिक स्थान को मां भद्रकाली नाम से जाना जाता है.
कहा जाता है कि मां भद्रकाली ने स्वयं कर्ण को सोना देकर आशीर्वाद दिया था, जिसे वे ब्राह्मणों और गरीबों में दान करते थे. इस मंदिर की एक अनोखी विशेषता इसकी चमत्कारी चट्टान है, जो पहले बहुत छोटी थी और अब बढ़कर बड़ी हो गई है. यहां कार्तिक और वैशाखी पूर्णिमा के अवसर पर बड़े मेले का आयोजन होता है, जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं.
दानवीर कर्ण का है इस मंदिर से संबंध
लोकल 18 से बात करते हुए पुजारी कहते हैं कि मां भद्रकाली का आशीर्वाद द्वापर के राजा कर्ण को भी मिला है. मां स्वयं दानवीर कर्ण को सोना देती थीं और फिर राजा कर्ण ब्राह्मणों और गरीबों को दान दिया करते थे.
अद्भुत है मंदिर की चट्टान
पुजारी और श्रद्धालुओं के अनुसार पहले इस मंदिर में मां के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु लेटकर आते थे क्योंकि ग्रेनाइट चट्टान का द्वार बहुत छोटा था. धीरे-धीरे यह चट्टान बढ़ती गई और अब श्रद्धालु खड़े होकर दर्शन करते हैं.
यहां लगता है मेला
पुजारी शिवनारायण के मुताबिक यहां कार्तिक पूर्णिमा और वैशाखी पूर्णिमा को भव्य मेले का आयोजन होता है. साल में दो बार आने वाली नवदुर्गा उत्सव में भी यहां मेले का आयोजन होता है. पुजारी शिवनारायण शर्मा बताते हैं कि मां भद्रकाली की पूजा 6 पीढ़ियों से कर रहे हैं. मां के दर्शन करने के लिए यहां मुंबई और दिल्ली से भी श्रद्धालु आते हैं. जिसकी भी यहां मनोकामनाएं पूरी होती हैं वह यहां मंदिर का विकास कराते हैं.
Tags: Chhatarpur news, Local18, Mp news, Special Project
FIRST PUBLISHED :
October 11, 2024, 17:41 IST