पटना: बिहार विधानसभा की चार सीटों के लिए हुए उपचुनाव में मिली सफलता के बाद एनडीए का उत्साह चरम पर है. एनडीए के प्रमुख घटक जेडीयू और लोजपा (आर) ने बिहार में चुनावी माहौल बनाने के लिए अलग-अलग टीमें गठित कर दी हैं. इनकी सभाएं हर जिले में अलग-अलग तो होंगी ही, लेकिन रणनीतिक ढंग से एनडीए के सभी दलों के प्रमुख भी मिलेंगे और बात करेंगे. दूसरी ओर एनडीए द्वारा इंडिया ब्लाक की तीन सीटें झटक लेने से आरजेडी नेताओं का मनोबल ध्वस्त हुआ है. इंडिया ब्लाक आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्व में अगले साल बिहार में सरकार बनाने का सपना देख रहा था. उपचुनाव में हार उसके सपने पर तुषारापात है.
2025 की तैयारी में जुट गया है एनडीए
उपचुनाव के नतीजे पक्ष में आने के बाद एनडीए अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में जोर-शोर से जुट गया है. भाजपा, जेडीयू, लोजपा-आर (LJP-R) की तैयारियों से ऐसा लगता है कि चुनाव सिर पर है. वैसे भी कयास यही लगाए जा रहे हैं कि विधानसभा चुनाव समय से पहले हो सकता है. हरियाणा के बाद महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों से भाजपा भी उत्साहित है और उसके घटक दलों में भी नए जोश का संचार हुआ है. इसलिए बिहार विधानसभा चुनाव समय से पहले कराने में भाजपा को अब कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए. नीतीश कुमार भी पहले से ही ऐसा चाहते रहे हैं.
JDU की 7 तो LJP-R की 9 सदस्यीय टीम
चुनाव की तैयारियों का संकेत इसलिए भी मिल रहा है कि बिहार में एनडीए का नेतृत्व करने वाले जेडीयू ने पिछले कुछ दिनों में जनता के बीच जाने के कई कार्यक्रम शुरू किए हैं. जेडीयू ने सबसे पहले अपने राष्ट्रीय महासचिव मनीष कुमार वर्मा को कार्यकर्ता समागम के लिए जिलों में भेजा. उसके बाद नीतीश कुमार ने एनडीए नेताओं की बड़ी बैठक की. अब नीतीश ने जेडीयू के 7 बड़े नेताओं को जिलों में सभाओं के काम पर लगा दिया है. ये नेता जिलों में सभाएं तो कर ही रहे हैं, साथ ही एनडीए के तमाम घटक दलों के जिला प्रमुखों की साझा बैठकें भी कर रहे हैं. चुनाव में एनडीए की कामयाबी के लिए रणनीति बन रही है और विपक्षी गतिविधियों के बारे में फीडबैक लिया जा रहा है. जेडीयू के तर्ज पर अब लोजपा-आर ने भी 9 सदस्यों की कमेटी बनाई है, जो जिलों का दैरा करेगी. इनमें सांसदों और संगठन प्रभारियों को शामिल किया गया है.
ललन सिंह ने बता दी है जेडीयू की लाइन
जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के सीएम नीतीश कुमार मुसलमानों के हित में लगातार काम करते रहे हैं. भले ही मुसलमानों के वोट उन्हें नहीं मिलते. वैसे मुस्लिम लीडरान मनोवैज्ञानिक तौर पर नीतीश पर अपना एहसान जताते रहते हैं. जेडीयू के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह के इस बयान से अब साफ हो गया है कि जेडीयू की चुनावी लाइन क्या होगी. ललन सिंह ने कहा है कि नीतीश कुमार ने मुसलमानों के लिए जितना काम किया है, उतना किसी ने नहीं किया। पर, अल्पसंख्यक अपना वोट नीतीश को नहीं देते. ललन सिंह के बयान से जेडीयू के मुस्लिम नेता खफा हो गए हैं. वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पर ललन सिंह ने भाजपा का पक्ष लेकर जेडीयू की मंशा पहले ही साफ कर दी थी.
NDA की सक्रियता बढ़ी, पर विपक्ष सुस्त
विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए में जितनी सक्रियता दिख रही है, उतनी ही सुस्ती विपक्षी गठबंधन इंडिया में दिख रही है. तेजस्वी ने यात्रा की शुरुआत तो की थी, लेकिन उनकी यात्रा में क्रम भंग होता रहा है. कभी वे दुबई की सैर पर चले जाते हैं तो हाल में वे झारखंड विधानसभा चुनाव में सक्रिय हो गए. जिस सूबे का सीएम बनने का वे सपना देख रहे हैं, वहां उनकी एक्टिविटी ठपप्राय है. उपचुनाव में अपने कोटे और सहयोगी सीपीआई (एमएल) की सीटें गंवाने के बाद तो इंडिया ब्लाक और पस्त हो गया है. यह स्वाभाविक भी है. लालू यादव और तेजस्वी यादव ने उपचुनाव में अपनी सीटें बचाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी. फिर भी तीनों सीटें इंडिया ब्लाक के कब्जे से बाहर हो गईं.
अब इंडिया ब्लॉक में शुरू हुआ छीछालेदर
उपचुनाव में हार के बाद इंडिया ब्लाक में छीछालेदर होने लगा है. आरजेडी के पूर्व एमएलसी आजाद गांधी तो रामगढ़ में आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे की हार के बाद उनका इस्तीफा ही मांगने लगे हैं. गांधी आरजेडी को A टू Z की पार्टी बनाने के तेजस्वी यादव की अवधारणा के भी खिलाफ बोल रहे हैं. आरजेडी के दूसरे नेताओं की तो बोलती ही फिलहाल बंद हो गई है. हालांकि झारखंड में आरजेडी की चार सीटों पर जीत थोड़ी राहत देती है, लेकिन इससे पार्टी का मकसद पूरा नहीं होने वाला. आरजेडी को तो बिहार में सीटों की जरूरत थी. पार्टी चारों सीटें भले न जीतती, लेकिन अपनी और माले की सीटों पर जीत बरकरार रखना उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती थी.
RJD के लिए खतरे का संकेत दिया PK ने
उपचुनाव में प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज ने इंडिया ब्लाक के लिए खतरे का संकेत दे दिया है. सुरेंद्र यादव की पैत्रिक सीट बन चुकी बेलागंज को आरजेडी से मुक्त कराने में प्रशांत किशोर की भी भूमिका रही है. इमामगंज में तो प्रशांत किशोर ने गजब का कमाल दिखाया है. यहां उनकी पार्टी के प्रत्याशी ने वोट नहीं काटे होते तो आरजेडी के उम्मीदवार की जीत तय थी. चार सीटों के उपचुनाव में 10 प्रतिशत वोट लाकर प्रशांत किशोर की पार्टी ने इतना तो साबित कर ही दिया है कि भले ही उसके उम्मीदवार न जीतें, लेकिन वह किसी को हरा जरूर सकते हैं.
PK ने आरजेडी का M-Y समीकरण बिगाड़ा
आरजेडी को अपने मुस्लिम-यादव (M-Y) समीकरण पर बड़ा गुमान रहा है. बेलागंज और इमामगंज में प्रशांत किशोर की पार्टी को जितने वोट मिले हैं, उनमें मुस्लिम वोट भी हैं. यादवों के भी वोट हों तो आश्चर्य नहीं. इससे यह बात साफ हो गई है कि आरजेडी के मुस्लिम-यादव (M-Y) समीकरण के वोट अब इंटैक्ट नहीं हैं. इमामगंज में प्रशांत किशोर की तकरीबन सवा महीने पुरानी पार्टी के उम्मीदवार को 37103 वोट मिले. बेलागंज में जन सुराज के उम्मीदवार ने 17268 वोट हासिल किए. यह स्थिति तब रही, जब उपचुनावों में आमतौर पर लोगों की दिलचस्पी कम रहती है. इसलिए कि इनमें जीत-हार से सरकार के बनने-बिगड़ने का खतरा नहीं होता. पहली बार चार सीटों पर चुनाव लड़ कर जन सुराज ने 66490 वोट हासिल किए, जो कुल वोटों का तकरीबन 10 प्रतिशत है.
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FIRST PUBLISHED :
November 25, 2024, 14:51 IST