मूली की खेती की तस्वीर
जहानाबाद. भारत में मूली की खेती बड़े पैमाने पर होती है. इसकी फसल साल में कभी भी की जा सकती है. हालांकि, सही समय ठंड का मौसम ही होता है. मूली की कई अलग अलग किस्में होती है, जैसे लाल और सफेद मूली. मूली का इस्तेमाल सलाद के साथ सब्जियों में की जाती है. इसे आप सीधे भी खा सकते हैं. इसके पत्ते भी काम में आ जाते हैं. ऐसे में आप इससे अच्छी कमाई कर सकते हैं. जहानाबाद जिले के मोदनगंज इलाके के किसान उद्दी प्रसाद यादव एक बीघा में मूली की खेती करते हैं और ठंड में सफेद मूली लगाते हैं. इससे उन्हें एक सीजन में करीब 1 लाख रुपए तक फायदा हो जाता है.
सीजन में डेढ़ लाख तक की होती है कमाई
चुनुकपुर के रहने वाले किसान उद्दी यादव को इसमें उनके भाई का भी सहयोग मिलता है. उनके भाई वीरेंद्र कुमार जो सिर्फ 22 साल के हैं, वो भी खेती में साथ दे रहे हैं. इससे उन्हें भी कुछ लाभ हो जाता है. किसान वीरेंद्र ने लोकल 18 को बताया कि मूली की खेती से किसान को काफी फायदा हो सकता है. यह कम समय और कम मेहनत के साथ कम खर्च में अच्छा मुनाफा दे सकता है. एक सीजन में इससे एक से डेढ़ लाख की कमाई आप कर सकते हैं. अभी उद्दी यादव एक बीघा में सफेद मूली उगा रहे हैं. इसके अलावा 3 बीघा में खेती करते हैं. जिसमें वह मटर और टमाटर भी उगाते हैं.
नालंदा से लाते हैं मूली का बीज
22 साल के युवा किसान वीरेंद्र कुमार ने बताया कि मूली की खेती की शुरुआत अक्टूबर में करते हैं. 40 से 45 दिन के बाद मूली निकलने लगता है. इसमें काफी कम खर्च में अधिक मुनाफा होता है. मूली की खेती में शताब्दी का सीड्स लगाते हैं. इसका बीज नालन्दा जिला से लाते हैं. कई साल से मूली की खेती करते आ रहे हैं. कभी-कभी ऐसा होता है कि मौसम का मार झेलने की वजह से खेती में नुकसान सहना पड़ जाता है. ऐसे में कभी लाभ तो कभी नुकसान हो जाता है.
मूली की खेती में तीन बार करना पड़ता है सिंचाई
युवा किसान ने बताया कि मूली की खेती अक्टूबर महीने में 10 तारीख के बाद शुरू कर देते हैं और नवम्बर के अंत होते-होते टूटना चालू हो जाता है. इसकी खेती में तीन बार सिंचाई करना पड़ता है. वहीं, दो बार खाद डालते हैं. यहां की मिट्टी काफी उपजाऊ है. इस कारण बढ़िया उपज हो जाती है. बता दें कि मोदनगंज प्रखंड स्थित चुनुकपुर गांव के किसान ज्यादातर सब्जी की खेती करते हैं. आलू बड़े पैमाने पर उगाते हैं. इसके अलावा बैंगन, टमाटर और मिर्च भी उगाते हैं, क्योंकि फल्गु की तराई पर बसे इस गांव की मिट्टी काफी अच्छी है. साथ ही पानी की भी दिक्कत नहीं होती है.
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FIRST PUBLISHED :
November 19, 2024, 10:51 IST