यहां पेड़ की छाल के गोंद से बन रही चूड़ियां, 5min में कस्टमाइज्ड बैंगल तैयार

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इस्लाम अहमद पेड़ की छाल के गोंद से सुंदर चूड़ियां बनाते हैं

देहरादून: चूड़ियां सुहाग की निशानी होती हैं, और अपने हाथों की शोभा बढ़ाने के लिए कई महिलाएं इन्हें पहनना पसंद करती हैं. बाज़ार में कई तरह की चूड़ियां अपनी पसंद से खरीदी जा सकती हैं, लेकिन अगर आपको अपनी पसंद की चूड़ियां अपने सामने बनवाकर पहनने का मौका मिले, तो यह और भी खुशी की बात होगी. देहरादून के विरासत महोत्सव में आप अपने सामने 5 मिनट के भीतर ही चूड़ियां और कंगन बनवाकर पहन सकते हैं. यहां पेड़ की छाल से बने गोंद का उपयोग करके सुंदर चूड़ियां बनाई जा रही हैं, जो लाख से बनती हैं. लोग इस पारंपरिक कला को देखने के लिए उत्सुक नजर आते हैं. आप यहां लाइव चूड़ियां बनते हुए देख सकते हैं, जो राजस्थान की पारंपरिक कला है.

300 साल पुरानी परंपरा और पुश्तैनी काम
लोकल 18 से बात करते हुए इस्लाम अहमद ने बताया कि वह राजस्थान, जयपुर की 300 साल पुरानी परंपरागत कला को देहरादून के लोगों को दिखाने के लिए हर साल विरासत महोत्सव में आते हैं. देहरादून के लोग क्राफ्ट के शौकीन होते हैं, इसलिए उन्हें यहां अपनी कला दिखाने का मौका मिलता है. उन्होंने बताया कि लाख की चूड़ियां बनाना उन्होंने अपने पिता से सीखा है, और यह उनका पुश्तैनी काम है, जो सात पीढ़ियों से चल रहा है. इस्लाम अहमद को इस काम को करते हुए 44 साल हो चुके हैं, और उन्हें ‘मास्टर क्राफ्ट मैन’ के नाम से जाना जाता है. वह भारत सरकार की वस्त्र मंत्रालय से मान्यता प्राप्त कलाकार हैं, जो अपने पूर्वजों की विरासत को संजोए हुए हैं.

चौदह देशों में इस्लाम अहमद का लाइव प्रदर्शन
इस्लाम अहमद ने बताया कि अब तक वह चौदह देशों में अपनी कला का लाइव प्रदर्शन कर चुके हैं, जिनमें सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, दुबई, कुवैत और हंगरी शामिल हैं. उन्होंने इन देशों में लाख से चूड़ियां बनाकर लोगों को राजस्थान की 300 साल पुरानी परंपरागत कला से परिचित कराया. दुनिया के प्रसिद्ध फ्रांस के इंटरनेशनल कांस फिल्म फेस्टिवल में भी इस्लाम ने लाइव बेंगल मेकिंग प्रक्रिया से सबको चौंका दिया. उन्होंने बताया कि लाख एक प्राकृतिक जैविक सामग्री होती है, जो पेड़ की छाल से गोंद के रूप में प्राप्त होती है, जिससे इसे गर्म करके खास तरीके से चूड़ियां बनाई जाती हैं. उनके पास कई तरह की डिज़ाइन वाली चूड़ियां और कंगन होते हैं, जिनकी कीमत 150 रुपये से शुरू होती है.

बैंगल्स मेकिंग का अनोखा तरीका
विरासत महोत्सव में इस्लाम अहमद की कला को देखने के लिए लोग रुक जाते हैं, और उनके द्वारा बनाई जा रही चूड़ियों को देखकर खुद भी बनवाने के लिए प्रेरित हो जाते हैं. शालिनी खत्री को उनके डिज़ाइन और तरीका बहुत पसंद आया, इसलिए उन्होंने अपने लिए चूड़ियां बनवा लीं. वहीं, जसमीत कपूर ने बताया कि उन्होंने इस्लाम अहमद की कला को कई ब्लॉगर्स की रील्स में देखा था, और इसलिए इसे देखने के लिए आईं. उन्होंने अपने पसंदीदा रंग चुनकर अपने लिए चूड़ियां बनवाईं.

Tags: Dehradun news, Local18, Special Project, Uttrakhand

FIRST PUBLISHED :

October 22, 2024, 15:53 IST

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