कृषि विज्ञान केंद्र नौगांव छतरपुर
छतरपुर: कृषि विभाग ने आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत बेरोजगार युवाओं को कृषि उर्वरक, कृषि रसायन और कृषि बीज के व्यवसाय से जोड़ने के उद्देश्य से छतरपुर जिले के नौगांव कृषि विज्ञान केंद्र में 15 दिवसीय डिप्लोमा कोर्स शुरू करने का आदेश जारी किया है. इस कोर्स को करने के बाद छतरपुर के बेरोजगार युवा अपना स्वरोजगार स्थापित कर सकते हैं और आत्मनिर्भर बन सकते हैं.
15 दिनों के अंदर प्रमाण पत्र
डिप्लोमा कोर्स के बारे में जानकारी कृषि विज्ञान केंद्र में पदस्थ वैज्ञानिक और फ़र्टिलाइज़र इनपुट डीलर डिप्लोमा के प्रभारी डॉक्टर राजीव सिंह के अनुसार, संचालनालय कृषि विभाग भोपाल ने स्टेट एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, कृषि विज्ञान केंद्र, मैनेज, एनआईईडीपीआर, फ़र्टिलाइज़र एसोसिएशन ऑफ इंडिया या किसी अन्य अनुमोदित सरकारी संस्थान से 15 दिनों के भीतर प्रमाण पत्र प्राप्त करने वालों को उर्वरक, कृषि रसायन और बीज के लिए लाइसेंस जारी करने के संबंध में पत्र जारी किया है.
कौन कर सकता है ये कोर्स
शैक्षणिक योग्यता और लाइसेंस की प्रक्रिया बीएससी एग्रीकल्चर या बीएससी रसायन की शैक्षणिक योग्यता धारी लोग ग्रामीण क्षेत्र में बहुत कम होते हैं. उर्वरक आदेश 1985 के अनुसार, यदि आवेदक के पास किसी राज्य कृषि विश्वविद्यालय या कृषि विज्ञान केंद्र या राष्ट्रीय कृषि विस्तार संस्थान से 15 दिनों का सर्टिफिकेट कोर्स है, तो जिला कृषि अधिकारियों या क्षेत्रीय अधिकारियों को ऐसे आवेदनों को प्राथमिकता के आधार पर स्वीकार करके उन्हें उर्वरक, कृषि रसायन और बीज के व्यवसाय के लिए लाइसेंस प्रदान किया जा सकता है.
कोर्स के बाद क्या कर सकते हैं?
किसान और युवाओं के लिए अवसर यह 15 दिवसीय फ़र्टिलाइज़र इनपुट डीलर डिप्लोमा कोर्स करने के बाद कोई भी व्यक्ति कृषि व्यवसाय से जुड़कर स्वरोजगार प्राप्त कर सकता है. शासन ने इस कोर्स के लिए निश्चित फीस निर्धारित की है और इसका पहला बैच जल्द ही शुरू होने वाला है. किसानों की प्रतिक्रिया कक्षा 7वीं तक पढ़े लल्लन पाल कहते हैं कि वह खेती करते हैं और खेती में रुचि भी रखते हैं, लेकिन आगे की कृषि शिक्षा प्राप्त नहीं कर सके. अगर इस कोर्स के माध्यम से खाद और बीज का लाइसेंस मिल जाता है, तो यह बहुत ही अच्छा कदम होगा. कक्षा 5वीं तक पढ़े युवा किसान हरिराम अहिरवार कहते हैं कि यह कोर्स हमारे लिए बहुत सही है. अगर कोर्स के बाद खाद और बीज बेचने की अनुमति मिल जाती है, तो किसानों को गांव से बाहर भटकना नहीं पड़ेगा.
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FIRST PUBLISHED :
October 22, 2024, 16:10 IST