रामगढ़: 2 महिला कैंडिडेट में रसूख की लड़ाई और दांव पर साख, पर टक्कर त्रिकोणीय

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हाइलाइट्स

रामगढ़ विधानसभा सीट पर आजसू और कांग्रेस के बीच मुख्य टक्कर. मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में जुटे हैं जेएलकेएम के पानेश्वर कुमार. झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने भी जीता था उपचुनाव.

जावेद खान/रामगढ़. झारखंड की रामगढ़ विधान सभा सीट पर दो दशक से एनडीए का कब्जा रहा है. खासकर सुदेश महतो की आजसू की इस सीट पर लगातार जीत होती रही है. वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की ममता देवी ने झारखंड के पूर्व मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी की पत्नी और आजसू पार्टी की प्रत्याशी सुनीता चौधरी को भारी मतों से पराजित कर दिया था. लेकिन, जब गोला गोली कांड में ममता देवी को सजा हुई तो यहां राजनीतिक समीकरण भी असर पड़ा. इसके बाद ममता देवी की विधानसभा की सदस्यता चली गई थी तो 2023 के उपचुनाव में आजसू की सुनीता चौधरी ने ममता देवी के पति और कांग्रेस के उम्मीदवार बजरंग महतो को पराजित कर 2019 के हार का बदला ले लिया था. इस बार फिर से आजसू पार्टी की ओर से सुनीता चौधरी और कांग्रेस पार्टी से ममता देवी आमने-सामने है. लेकिन इस बार के चुनाव में समीकरण बदलते दिख रहे हैं.

खासकर जयराम महतो की पार्टी जेएलकेएम के पानेश्वर कुमार के मैदान में आने के बाद इस सीट पर मुकाबला काफी दिलचस्प होता जा रहा है. कुर्मी महतो बहुल रामगढ़ विधानसभा सीट पर तीनों प्रमुख दलों के प्रत्याशी कुर्मी महतो समाज से ही है, आमने-सामने एक दूसरे को चुनौती दे रहे हैं.

चार बार आजसू पार्टी रामगढ़ सीट पर कर चुकी है कब्जा
रामगढ़ सीट पर पहली बार आज तो पार्टी ने 2005 में कब्जा किया था, तब आजसू पार्टी से चंद्र प्रकाश चौधरी जीते थे और पहली बार ही हुए मंत्री बन गए थे. इसके बाद फिर पुनः 2009 और 2015 में जीते और उस बार भी मंत्री बने थे. खास बात यह है कि वे भाजपा और मधु कोड़ा सरकार में भी मंत्री के पद सुशोभित कर चुके हैं. वर्ष 2019 में यहां पर आजसू पार्टी को कांग्रेस की ममता देवी ने पराजित कर दिया था. 1985 के बाद काफी दिनों के बाद इस सीट पर कांग्रेस की जीत हुई थी.

कुर्मी महतो मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक
रामगढ़ विधानसभा में सबसे अधिक मतदाताओं की संख्या कुर्मी महतो की है. इसके बाद मुस्लिम मतदाताओं की संख्या आती है. कुर्मी बहुल वाली इस सीट पर अधिकांश समय कुर्मी महतो समाज के ही विधायक चुनते आ रहे हैं. वर्ष 1985 में कांग्रेस के यमुना शर्मा और 1995 में बीजेपी के शंकर चौधरी, वर्ष 1999 में सीपीआई के शब्बीर अहमद कुरैशी, वर्ष 2001 में राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी यहां पर गैर कुर्मी महतो विधायक चुने गए थे.

जबकि, 1980 से 85 और 90 से 95 के बीच झामुमो के अर्जुन राम महतो यहां से विधायक थे. वर्ष 1999 के विधानसभा चुनाव में सीपीआई के शब्बीर अहमद कुरैशी ने यह सीट जीती थी. हालांकि, उनकी आसामाजिक मृत्यु के बाद वर्ष 2001 में हुए उपचुनाव में झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बबूलाल मरांडी ने यहां से जीत दर्ज की थी.

Tags: Jharkhand news, Jharkhand Politics

FIRST PUBLISHED :

November 19, 2024, 10:54 IST

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