रिटर्न का गणित बिगाड़ देता है एक्‍सपेंस रेश्‍यो, पैसा लगाने से पहले जान लें इसे

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नई दिल्‍ली. म्‍यूचुअल फंड में पैसा लगाने वालों की तादात लगातार बढ़ती जा रही है. शेयर बाजार के बारे में बढ़ती जागरूकता और बेहतर रिटर्न की वजह से म्‍यूचुअल फंडों में निवेशकों की रुचि बढ़ी है. आमतौर पर म्‍यूचुअल फंड (Mutual Funds) स्‍कीम में पैसा लगाने वाला आम निवेशक सिर्फ फंड का पिछला रिटर्न और आगे मुनाफा होने की संभावना का पता लगाकर ही पैसे लगा देता है. लेकिन, इनके अलावा भी निवेश करते समय कुछ बातों पर ध्‍यान देने की जरूरत होती है. इन्‍हीं में से एक है, एक्सपेंस रेश्यो (Expense Ratio). अगर निवेश करते समय अगर आपने इस पर ध्‍यान नहीं दिया तो हो सकता है कि आपको जो रिटर्न दिख रहा है, उससे कम रिटर्न ही मिले. अगर फंड का एक्‍सपेंस रेश्‍यो ज्‍यादा है तो निवेशकों को मिलने वाली असली रिटर्न पर असर पड़ता है, यह बात बहुत से निवेशक नहीं जानते.

एक्‍सपेंस रेश्‍यो एक महत्वपूर्ण वित्तीय संकेतक है, जिसे म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले समझना आवश्यक है. यह अनुपात बताता है कि किसी फंड के कुल एसेट्स का कितना हिस्सा प्रबंधन और संचालन संबंधी खर्चों में जाता है. आसान शब्‍दों में कहें तो एक्सपेंस रेश्यो वह फीस है जो एसेट मैनेजमेंट कंपनियां (AMC) अपने फंड के संचालन के लिए निवेशकों से वसूल करती हैं. एक्सपेंस रेश्यो एक महत्वपूर्ण मापदंड है जो यह निर्धारित करता है कि आपका म्यूचुअल फंड कितना खर्चीला है. इसे ध्यान में रखते हुए, आप अपने निवेश के लिए सही फंड का चयन कर सकते हैं और अपने दीर्घकालिक वित्तीय लक्ष्यों को हासिल करने में मदद कर सकते हैं.

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ऐसे डालता है असर?
एक्‍सपेंस रेश्‍यो आपके रिटर्न पर कैसे असर डाल सकता है, इसे एक उदाहरण से समझते हैं. मान लो कि किसी फंड से आपको 15 फीसदी रिटर्न मिला और उस फंड का एक्‍सपेंस रेश्‍यो 1.5 फीसदी है. अब आपको इस फंड से जो वास्‍तविक रिटर्न मिलेगा, वो 13.5 फीसदी ही होगा, क्‍योंकि 1.5 फीसदी तो एक्‍सपेंस रेश्‍यो के रूप में ही कट जाएगा. वहीं, अगर फंड का एक्‍सपेंस रेश्‍यो एक फीसदी होता तो आपका वास्‍तविक रिटर्न 14 फीसदी होता.

क्यों जरूरी है एक्सपेंस रेश्यो को समझना?
एक्सपेंस रेश्यो एक महत्वपूर्ण कारक है जो आपके म्यूचुअल फंड निवेश के दीर्घकालिक परिणामों को प्रभावित करता है. इसे समझना क्‍यों जरूरी है, आइये जानते हैं..

  • रिटर्न पर प्रभाव: उच्च एक्सपेंस रेश्यो आपके कुल रिटर्न को कम कर सकता है. उदाहरण के लिए, यदि किसी फंड का रिटर्न 12% है और एक्सपेंस रेश्यो 1.5% है, तो आपका वास्तविक रिटर्न केवल 10.5% होगा.
  • सही फंड का चुनाव: कम एक्सपेंस रेश्यो वाले फंड आमतौर पर बेहतर होते हैं, क्योंकि वे निवेशकों को अधिक लाभ प्रदान कर सकते हैं.
  • ट्रांसपेरेंसी: यह आपको यह समझने में मदद करता है कि आपके निवेश पर कितना शुल्क लिया जा रहा है, जिससे आप बेहतर निर्णय ले सकते हैं.

Tags: Business news, Mutual fund, Personal finance

FIRST PUBLISHED :

November 24, 2024, 13:47 IST

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