मध्य प्रदेश के रीवा शहर से 20 किमी दूर गोविंदगढ़ नाम का कस्बा है. गोविंदगढ़ में खंदो माता मंदिर है, जो न केवल एक धार्मिक स्थान है. इसे टूरिस्ट स्पॉट के रूप में भी जाना जाता है. खंदो में खूबसूरत लैंडस्केप्स हैं, बड़ी-बड़ी चट्टानें और प्राकृतिक जलस्रोत भी हैं. खंदो मंदिर के पास कई छोटे-छोटे जलकुंड हैं, मंदिर में मां कलका की प्रचीन मूर्ती है.
इसी खंदो मंदिर के पीछे एक प्रचीन खम्भा है जिसे लोग भीम सेन का गदा कहते हैं. इतिहासकार बताते हैं कि इस पर जो भी रिसर्च हुए उनमें से जो परिणाम मिले हैं इतना ही पता चला है कि यह खम्भा महाभारत कालीन है. जिस पत्थर से यह बना है वह पत्थर छत्तीसगढ़ के पहाड़ो में पाया जाता जिसे दंड कारण का क्षेत्र माना जाता है लेकिन यह पत्थर विंध्य आंचल में कहीं नहीं पाया जाता है.
भीम सेन के गदा का इतिहास
खंदो मंदिर के पुजारी बताते हैं कि मैं तीसरी पीढ़ी का पुजारी हूं. जो यहां पर पूजा कर रहां हूं. गोविंदगढ़ और खंदो का पूरा क्षेत्र ही रहस्यों से भरा पड़ा है. मां कलका का यह मंदिर खंदो के कुंड और भीम सेन की छड़ी या गदा है. जिसे मेरे सभी पूर्वज प्रणाम करते आये हैं. इसका रहस्य कोई नहीं सुलझा सका कि यह भीम सेन की छडी है या गदा पर मैने अपने गुरू जन और अपने पूर्वजो से इसके बारे सुना है कि गुप्त वास के दौरान भीम यहां से गुजर रहे थे. उन्हें प्यास लगी थी तो कुंड के पास आये पर बिना स्नान और भगवान शिव की आराधना किये बिना पानी नहीं पी सकते थे, इस लिए इस कुंड में स्नान करने के बाद भगवान शिव का एक लिंग स्थापित किया और भगवान शिव की आराधना की भगवान शिव से प्रर्थना करने के बाद अपना गदा या छडी शिव लिंग के पास रख कर पानी पीने के लिए कुंड के पास चले गए.
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FIRST PUBLISHED :
November 24, 2024, 18:55 IST