"कुछ लोगों को लगता है, जब तक फॉरेन पॉलिसी पर नहीं बोलते, तब तक मैच्योर नहीं लगते हैं. इसलिए उन्हें लगता है कि फॉरेन पॉलिसी पर तो बोलना ही चाहिए. भले ही देश का नुकसान हो जाए. मैं ऐसे लोगों को जरा कहना चाहता हूं कि अगर उनको सच में फॉरेन पॉलिसी सब्जेक्ट में रुचि है और उसे समझना है, और आगे जानकर कुछ करना है और यह मैं शशि जी के लिए नहीं कह रहा हूं. ऐसे लोगों को मैं कहना चाहूंगा कि एक किताब जरूर पढ़ें. कहां कितना बोलना है, उनको समझ हो जाएगी. किताब का नाम है जेएफके फॉर्गोगोटन क्राइसिस (JFK'S FORGOTTEN CRISIS). यह किताब एक प्रसिद्ध फॉरेन पॉलिसी स्कॉलर ने लिखी है. इसमें महत्वपूर्ण घटनाओं का जिक्र है. इसमें भारत के पहले प्रधानमंत्री जो विदेश नीति को भी देखते थे, इस किताब में पंडित नेहरू और अमेरिका के तब के राष्ट्रपति कैनेडी के बीच हुई चर्चा और फैसलों का विस्तार से जिक्र है. जब देश ढेर सारी चुनौतियों का सामना कर रहा था, तब विदेश में क्या खेल हो रहा था, यह किताब के माध्यम से सामने आ रहा था." पीएम मोदी की बातें सुनते ही सामने बैठे विदेश मंत्री एस जयशंकर मुस्कुराने से खुद को रोक न सके.
मंगलवार को पीएम मोदी ने ये बातें लोकसभा में बजट सत्र के दौरान राष्ट्रपति के अभिभाषण का जवाब देते हुए कहीं. मगर पीएम मोदी को ये कहने की जरूरत क्यों पड़ी? दरअसल, राहुल गांधी ने इस बजट सत्र में दो ऐसे बयान दिए कि संसद में हंगामा मच गया.
राहुल गांधी के ये रहे वो दो बयान
- राहुल गांधी ने सोमवार को लोकसभा में कहा था, "भारतीय सेना ने लद्दाख में चीनी सेना की घुसपैठ के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दावों का खंडन किया है. प्रधानमंत्री ने इसका खंडन किया है कि चीन हमारी चार हजार वर्ग किमी जमीन में घुस आया है, और सेना ने प्रधानमंत्री की बात का खंडन किया है."
- भारतीय विदेश मंत्री के अमेरिकी दौरे को लेकर राहुल गांधी ने कहा, 'हम प्रोडक्शन में बहुत पीछे हैं, अगर हमारे देश में अच्छा प्रोडक्शन सिस्टम होता तो विदेश मंत्री को अमेरिका जाकर अमेरिकी राष्ट्रपति की ताजपोशी में हमारे प्रधानमंत्री को शामिल कराने के लिए अनुरोध नहीं करना पड़ता.'
इसी पर पीएम मोदी ये बोले
#WATCH | PM Narendra Modi says, "While discussing the President's Address, overseas argumentation was besides discussed here. A fewer radical deliberation that they don't look mature if they don't talk connected overseas policy. They deliberation that they should decidedly talk connected overseas policy, adjacent if it… pic.twitter.com/LDXPl0c3q4
— ANI (@ANI) February 4, 2025चीन वाले बयान पर रक्षा मंत्री का जवाब
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सोमवार को कहा था कि चीन हमारी चार हजार वर्ग किलोमीटर जमीन पर बैठा है. राहुल गांधी के इस दावे पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राहुल के बयान को "झूठा" बताया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "राहुल गांधी ने 3 फरवरी 2025 को संसद में अपने भाषण में भारत-चीन सीमा पर स्थिति के बारे में सेना प्रमुख के बयान के बारे में झूठे आरोप लगाए. सेना प्रमुख की टिप्पणी में दोनों पक्षों द्वारा पारंपरिक गश्त को बाधित करने का उल्लेख किया गया है. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि हाल ही में सैनिकों की वापसी के हिस्से के रूप में इन प्रथाओं को उनके पारंपरिक पैटर्न में बहाल किया गया है. सरकार ने यह जानकारी संसद में दी है." राजनाथ सिंह ने कांग्रेस नेता के भाषण पर सवाल उठाते हुए कहा, "राहुल गांधी की तरफ से सेना प्रमुख के हवाले से कहे गए शब्द कभी भी उनकी ओर से नहीं बोले गए थे. यह बहुत खेद की बात है कि राहुल गांधी राष्ट्रीय हित के मामलों पर गैर-जिम्मेदार राजनीति में लिप्त हैं." उन्होंने कहा, "अगर कोई भारतीय क्षेत्र है, जिसमें चीन घुसा है तो वह 1962 के युद्ध के परिणामस्वरूप अक्साई चिन में 38 हजार वर्ग किमी और 1963 में पाकिस्तान द्वारा चीन को अवैध रूप से सौंपे गए 5,180 वर्ग किमी क्षेत्र हैं. राहुल गांधी हमारे इतिहास के इस चरण के बारे में आत्मनिरीक्षण करने पर विचार कर सकते हैं."
जयशंकर ने भी राहुल पर तीखी टिप्पणी की
जयशंकर ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, “नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने दिसंबर 2024 की मेरी अमेरिका यात्रा के बारे में जानबूझकर झूठ बोला.” विदेश मंत्री ने कहा कि उन्होंने तत्कालीन विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन से मुलाकात करने और भारत के महावाणिज्य दूतों की बैठक की अध्यक्षता करने के लिए अमेरिका का दौरा किया था. उन्होंने कहा, “मेरी यात्रा के दौरान भावी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से मुलाकात हुई थी.” जयशंकर ने कहा, “किसी भी स्तर पर प्रधानमंत्री को निमंत्रण देने के बारे में चर्चा नहीं की गई. यह सर्वविदित है कि हमारे प्रधानमंत्री ऐसे कार्यक्रमों में शामिल नहीं होते. वास्तव में, भारत का प्रतिनिधित्व आमतौर पर विशेष दूत करते हैं.” उन्होंने कहा, “राहुल गांधी के झूठ का उद्देश्य राजनीतिक हो सकता है, लेकिन इनसे विदेश में राष्ट्र को नुकसान पहुंचता है.”
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