देवघर. देवउठनी एकादशी के बाद शादी विवाह का सीजन शुरु हो चुका है. हर जगह शहनाई बजनी शुरु हो गई है. हिन्दू धर्म मे शादी विवाह 16 संस्कारो मे से एक है. शादी विवाह में कई प्रकार के रस्म निभाई जाती है. वहीं शादी मे एक मंडप भी बनाया जाता है और उसी मंडप के नीचे विवाह सम्पन्न होता है. मंडप लकड़ी, बांस इत्यादि चीजों का बनाया जाता है. लेकिन क्या आप जानते है कि शादी मे मंडप का महत्व है? किन लकड़ीयों से मंडप बनाना शुद्ध माना जाता है. जानते है देवघर के ज्योतिषाचार्य से…
क्या कहते है देवघर के ज्योतिषाचार्य
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 के संवाददाता से बातचीत करते हुए कहा कि शादी विवाह का सीजन शुरू हो चुका है. शादी विवाह मे मंडप बनाया जाता है. मंडप जिसे ईश्वर का घर भी कहा जाता है. हालांकि शहरी क्षेत्र मे ये रस्म विलुप्त हो रहा है. लेकिन आज भी ग्रामीणों मे बिना मंडप के शादी विवाह सम्पन्न नही होता है. चार खम्भे का एक मंडप बनाया जाता है. इसी मंडप मे सभी देवता गण वास करते है.
क्या है मंडप का महत्व
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि शास्त्रीयमत की विवाह एक यज्ञ के सामान होता है और यज्ञ में राक्षसों का भी आगमन होता है. जो विघ्न उत्पन्न करते है. उन्ही विघ्न से बचने के लिए एक मंडप तैयार किया जाता है. उस मंडप मे सभी देवी देवता वास करते हैं और विवाह को शुभ तरीके से संपन्न कराते है. लोकाचार्य मत ये भी है कि खुले आसमान के नीचे कोई भी शुभ कार्य नही करना चाहिए.
किन लकड़ियों का होना चाहिए मंडप
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि मंडप लोहे का भूल कर भी नहीं बनना चाहिए. मंडप हमेशा आम की लकड़ी महुआ की लकड़ी, बस या फिर केले के थंब से तैयार करना चाहिए. माना जाता है केले मे भगवान विष्णु वास करते है. इन सभी केले का मंडप सबसे शुभ माना जाता है. ये मंडप चार खम्भे का होता है जो धर्म, कर्म, अर्थ और मोक्ष का प्रतीक भी माना जाता है.
Edited By- Anand Pandey
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FIRST PUBLISHED :
November 16, 2024, 11:49 IST