नई दिल्ली. बनारस, कानपुर या बरेली की चाय सबसे अच्छी है या नहीं, इस पर इस मुद्दे से प्रेरित उनकी चर्चाओं ने जीवन, सिनेमा और इन दोनों के बीच की हर चीज को छुआ.निर्देशक निखिल आडवाणी ने बताया कि कैसे चाय पीते हुए उनकी दोस्ती की शुरुआत हुई और कुछ यादगार बातचीत भी जिन्हें वह कभी नहीं भूल पाएंगे.
साइरस ब्रोचा के पॉडकास्ट ‘साइरस सेज’ पर बातचीत के दौरान निखिल ने बताया, हम सभी मनोज बाजपेयी, इरफान खान, अनुराग कश्यप एक साथ घूमते फिरते रहते थे. उस समय, किसी के पास इतने पैसे भी नहीं हुआ करते थे. नियम यह था कि आप खाना खा सकते हैं, लेकिन अगर आपको शराब चाहिए, तो आपको अपना खुद की लानी होगी.
छत पर हुई चाय पर चर्चा को किया याद
अपनी बात आगे रखते हुए निर्देशक ने बताया, ‘उस दौरान हर कोई अपना हिस्सा लेकर आता था और वहां एक छत थी जहां हम दो या तीन दिन सिर्फ बातें करते हुए बिताते थे, वे इस बात पर बहस करते थे कि बनारस की चाय कानपुर या बरेली की चाय से बेहतर है या नहीं. कहां कि चाय सबसे बेहतर है, इसी पर चर्चा होती रहती थीं. मैं, साउथ बॉम्बे का लड़का होने की वजह से इन सब चीजों से अपरिचित था – बनारस की चाय क्या है? कानपुर की चाय? वे इसके बारे में इतने भावुक क्यों थे और इतनी शुद्ध हिंदी में इस पर चर्चा क्यों किया करते थे.
शानदार फिल्मों से बनाई पहचान
आडवाणी ने फिल्म निर्माता करण जौहर से जुड़ा किस्सा याद किया करते हुए बताया कि वह और करण जौहर पड़ोसी थे और मौका पाकर वो करण को चिढ़ाने पहुंच जाते थे.
अगर निखिल आडवाणी के काम की बात करें तो उन्होंने ‘बाटला हाउस’, ‘दिल्ली सफारी’, ‘सलाम-ए-इश्क’, ‘पटियाला हाउस’ और ‘चांदनी चौक टू चाइना’ जैसी फिल्मों के निर्देशन के लिए जाना जाता है.
बता दें कि निखिल आडवाणी के नए प्रोजेक्ट की बात करें तो उनकी सीरीज ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’, डोमिनिक लैपियर और लैरी कॉलिन्स की प्रतिष्ठित किताब से इंस्पायर्ड है. आडवाणी द्वारा निर्मित और निर्देशित, इस सीरीज में सिद्धांत गुप्ता, चिराग वोहरा और राजेंद्र चावला नजर आने वाले हैं और इसका प्रीमियर 15 नवंबर को सोनी लिव पर हुआ है.
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FIRST PUBLISHED :
November 16, 2024, 14:52 IST