शनिवार को शनि देव की पानी है कृपा, इस कवच का करें उपयोग, नहीं होगा बाल बांका!

2 hours ago 1

शनिवार का दिन कर्मफलदाता शनि देव की पूजा के लिए है. इस दिन लोग व्रत रखकर शनि देव की पूजा करते हैं. शनिवार व्रत की कथा सुनते हैं. यदि आपकी राशि पर शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या का प्रभाव है और उसकी वज​​ह से आपके जीवन में अनेकों कष्ट और संकट हैं, कोर्ट केस आदि से परेशान हैं तो आपको शनिवार के दिन शनि देव की आराधना करनी चाहिए. इन दिनों में आपको अच्छे कर्म करते हुए आगे बढ़ना चाहिए. चोरी, मांस-मदिरा का सेवन, झूठ बोलना जैसी आदतों से दूर रहना चाहिए. गलत कार्यों से दूरी बनाकर रखें.

केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार, शनिवार के दिन जो लोग शनि कवच का पाठ करते हैं, उनकी सुरक्षा शनि महाराज करते हैं. शनि देव की कृपा से हर प्रकार के संकट मिट जाते हैं, जीवन में आने वाले दुख के बादल छंट जाते हैं. साढ़ेसाती और ढैय्या के दुष्प्रभाव में भी कमी आती है. शनि कवच का पाठ करने से पहले किसी शनि मंदिर में जाकर पूजा करें. फिर शनि कवच का पाठ करें. शनि कवच संस्कृत में लिखा है, इसलिए पढ़ते समय सावधानी रखें और शब्दों का उच्चारण शुद्ध करें. यदि संस्कृत पढ़ने में कठिनाई है तो आप शनि कवच का ऑडियो सुन सकते हैं.

ये भी पढ़ें: दिसंबर में ये ग्रह दिखाएंगे तेवर, 4 राशिवाले रहें सतर्क, अशुभ प्रभाव कर देगा बेचैन!

शनि कवच
अस्य श्री शनैश्चरकवचस्तोत्रमंत्रस्य कश्यप ऋषिः,
अनुष्टुप् छन्दः, शनैश्चरो देवता, शीं शक्तिः,
शूं कीलकम्, शनैश्चरप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः

नीलाम्बरो नीलवपु: किरीटी गृध्रस्थितत्रासकरो धनुष्मान्।
चतुर्भुज: सूर्यसुत: प्रसन्न: सदा मम स्याद्वरद: प्रशान्त:।1।

श्रृणुध्वमृषय: सर्वे शनिपीडाहरं महंत्।
कवचं शनिराजस्य सौरेरिदमनुत्तमम्।2।

कवचं देवतावासं वज्रपंजरसंज्ञकम्।
शनैश्चरप्रीतिकरं सर्वसौभाग्यदायकम्।3।

ऊँ श्रीशनैश्चर: पातु भालं मे सूर्यनंदन:।
नेत्रे छायात्मज: पातु कर्णो यमानुज:।4।

नासां वैवस्वत: पातु मुखं मे भास्कर: सदा।
स्निग्धकण्ठश्च मे कण्ठ भुजौ पातु महाभुज:।5।

स्कन्धौ पातु शनिश्चैव करौ पातु शुभप्रद:।
वक्ष: पातु यमभ्राता कुक्षिं पात्वसितस्थता।6।

नाभिं गृहपति: पातु मन्द: पातु कटिं तथा।
ऊरू ममाSन्तक: पातु यमो जानुयुगं तथा।7।

ये भी पढ़ें: शुक्रवार को धनपति कुबेर को करना है प्रसन्न, तो पूजा के समय पढ़ें यह पाठ, धन से भरी रहेगी तिजोरी!

पदौ मन्दगति: पातु सर्वांग पातु पिप्पल:।
अंगोपांगानि सर्वाणि रक्षेन् मे सूर्यनन्दन:।8।

इत्येतत् कवचं दिव्यं पठेत् सूर्यसुतस्य य:।
न तस्य जायते पीडा प्रीतो भवन्ति सूर्यज:।9।

व्ययजन्मद्वितीयस्थो मृत्युस्थानगतोSपि वा।
कलत्रस्थो गतोवाSपि सुप्रीतस्तु सदा शनि:।10।

अष्टमस्थे सूर्यसुते व्यये जन्मद्वितीयगे।
कवचं पठते नित्यं न पीडा जायते क्वचित्।11।

इत्येतत् कवचं दिव्यं सौरेर्यन्निर्मितं पुरा।
जन्मलग्नस्थितान्दोषान् सर्वान्नाशयते प्रभु:।12।

Tags: Astrology, Dharma Aastha, Religion

FIRST PUBLISHED :

November 30, 2024, 05:26 IST

*** Disclaimer: This Article is auto-aggregated by a Rss Api Program and has not been created or edited by Nandigram Times

(Note: This is an unedited and auto-generated story from Syndicated News Rss Api. News.nandigramtimes.com Staff may not have modified or edited the content body.

Please visit the Source Website that deserves the credit and responsibility for creating this content.)

Watch Live | Source Article