शादी के फेरों के दौरान क्यों इस्तेमाल होते हैं चावल, हल्दी और सुपारी, जानें

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अहमदाबाद: शादियों का मौसम शुरू हो गया है. आप तो जानते ही हैं कि हिंदू धर्म में शादी की हर रस्म का धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से खास महत्व है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि शादी की रस्मों से पहले दूल्हा-दुल्हन फेरे क्यों लेते हैं? शादी में फेरों का क्या महत्व है? तो चलिए, आपको बताते हैं कि शादी में फेरे के महत्व क्या होता

क्या कहते हैं पंडित रविभाई जोशी?
लोकल 18 से बात करते हुए अंतरराष्ट्रीय ज्योतिषी और वास्तु विशेषज्ञ रविभाई जोशी ने बताया कि शादी की सभी रस्मों में सबसे महत्वपूर्ण रस्म अग्नि देवता की उपस्थिति में दूल्हा-दुल्हन का फेरों का है और उसमें भी, खासकर शादी से पहले, दूल्हा-दुल्हन को एक साथ फेरे लेना. इस रस्म में दूल्हे की बहन या परिवार की कोई बेटी दूल्हा-दुल्हन को डोरी से बांधती है, जिससे दूल्हा-दुल्हन का जीवन हमेशा खुशी से भरा रहे. इस दौरान धन, सुपारी, फूल, दुर्वा, चावल, हल्दी आदि का इस्तेमाल किया जाता है.

इन चीजों का है खास महत्व
इनमें से हर एक चीज का विशेष महत्व है. एक सिरे को दूल्हे के कुर्ते में बांधा जाता है और दूसरा सिरा दुल्हन के साड़ी या चुनरी से जुड़ा होता है. इसके अलावा, यह गठबंधन दूल्हा-दुल्हन के शरीर और मन के एकता का प्रतीक मानी जाती है. साथ ही यह शादी के बंधन का प्रतीक भी है. ऐसा माना जाता है कि पटका और चुनरी को बांधने के बाद पति-पत्नी एक-दूसरे को जीवनभर पूरा करते हैं.

सुपारी
सुपारी को एक पवित्र फल माना जाता है. हर धार्मिक कार्यक्रम में सुपारी का उपयोग होता है. विशेष रूप से गणेश पूजा में, सुपारी को भगवान गणेश की मूर्ति के स्थान पर पूजा जाता है. सुपारी दूल्हा-दुल्हन के सिरों में रखी जाती है, ताकि भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त हो सके और जीवन में आने वाली परेशानियों का निवारण हो सके.

चावल
चावल शादी के बाद साथ में भोजन करने की महिमा का प्रतीक है. साथ ही चावल और इसके विभिन्न पकवान भारत में सबसे ज्यादा खाए जाते हैं, इसलिए चावल को खाने का प्रतीक माना जाता है और इसे सिरों पर रखा जाता है.

धन
धन का मतलब है कि दूल्हा और दुल्हन को अपने किसी भी आय, खर्च या संपत्ति पर समान अधिकार होगा. साथ ही दोनों को एक-दूसरे के साथ सामंजस्य से काम करना होगा.

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हल्दी
हल्दी को हिंदू धर्म में ‘हरिद्रा’ के नाम से जाना जाता है, जो गरीबी को दूर करती है. हल्दी को एक एंटीबायोटिक और रोगाणुरोधक जड़ी-बूटी भी माना जाता है. इसलिए इसे सिरों पर बांधा जाता है ताकि दूल्हा-दुल्हन के जीवन में कोई शारीरिक या मानसिक समस्या न हो और गरीबी भी दूर रहे.

फूल
फूल सभी देवताओं के प्रिय होते हैं. जैसे फूलों की खुशबू दूर-दूर तक फैलती है, वैसे ही दूल्हा-दुल्हन का जीवन समाज में खुशबूदार रहे.

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दुर्वा
दुर्वा का मतलब है जीवन में कभी सुस्त न पड़ना. दुर्वा एक ऐसा घास है जो सूखा होने के बावजूद पानी से हरा हो जाता है. इसी तरह, दूल्हा-दुल्हन के रिश्ते में खुशी और दुख, मिठास और नजदीकी का अनुभव हमेशा बना रहे, और उनका प्यार हमेशा बरकरार रहे.

Tags: Local18, Special Project

FIRST PUBLISHED :

November 24, 2024, 14:19 IST

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