शिक्षक
मुजफ्फरपुर:- बिहार के सरकारी स्कूल के शिक्षकों के लिए बिहार शिक्षा विभाग ने नया फरमान जारी किया है. जारी फरमान में बताया गया है कि अगर आप सरकारी स्कूल के शिक्षक हैं, तो आपको स्कूल में टी-शर्ट और जींस पहनकर नहीं आना है. अगर आते हैं, साथ ही अगर आप डीजे पर डांस करने और सोशल मीडिया पर रील बनाने के शौकीन हैं, तो संभल जाए, क्योंकि शिक्षा विभाग ने नया आदेश जारी करके यह भी बताया है कि सरकारी शिक्षक अब स्कूलों में सिर्फ फॉर्मल कपड़े ही पहनकर आयेंगे. साथ ही किसी स्कूल में किसी तरह के मनोरंजक कार्यक्रमों पर भी पाबंदी लगा दी गई है. बिहार शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूल के माहौल को पूरी तरह शैक्षणिक बनाए रखने के लिए यह बड़ा फैसला लिया है. लेकिन विभाग के इस फैसले से शिक्षक काफी नाराज हैं.
अलग-अलग पहनावे पर आ रहा सो-कॉज
शिक्षक व शिक्षक संगठन के अध्यक्ष वंशीधर बृजवासी ने Local 18 को बताया कि आपने देखा है कि इससे पहले किसी जिला में सो-कॉज निकला था कि अगर दाढ़ी रखे हैं, तो सो कॉज हो जाएगा. अब बताया जा रहा है कि जीन्स पहनने पर सो कॉज हो जाएगा, दाढ़ी रखने पर सो-कॉज हो जाएगा, चंदन लगाने पर सो कॉज हो जाएगा, बाल रखने पर कारवाई कर देंगे, लेकिन इसका मकसद क्या है. किसी भी चीज के पीछे कुछ लॉजिक होता है.
शिक्षा विभाग के जिन पदाधिकारियों ने यह निर्देष दिया है कि जीन्स पहनकर नहीं जाना है, तो वो अधिकारी हमें बताए कि आखिर जीन्स में क्या आप्पति है. अगर मानते हैं कि जीन्स आप्पतिजक है, तो भारतीय प्रावधान धोती कुर्ता है और हमारे शिक्षा विभाग के जो अपर मुख्य सचिव हैं, वे धोती-कुर्ता पहनकर खुद पहले चलें, सारे शिक्षक भी पहन लेंगे, क्या उनको धोती कुर्ता पहनने भी आता है. यहां जो पहनेगा भी, वह पैर में लपटाकर गिर कर मर जाएगा.
बिना लॉजिक के लगाई रोक
वंशीधर बृजवासी ने विभाग के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि आप जींस को किसी कारण से प्रोविड कर रहे हैं, इसका कोई तो लॉजिक होगा. उन्होंने डिक्शनरी खोलकर जीन्स और टी-शर्ट की पूरी परिभाषा बताते हुए कहा कि डेनिम या मजबूत सूती पैंट को जीन्स कहते हैं. अब शिक्षक मजबूत कपड़ा नहीं पहनेगा, तो क्या कमजोर कपड़ा पहनेगा, यह विभाग की फालतू बातें हैं. जीन्स आज के समय में हमारे सोसाइटी को एक्सेप्टेबल है और यह हमारे बीच घुल मिल गया है. जिस चीज को समाज स्वीकार कर लेता है, उस पर आपत्ति नहीं करनी चाहिए.
वहीं रही टी-शर्ट की बात, तो आधे आस्तीन के बिना बटन या कॉलर के कमीज को टी-शर्ट कहते हैं. अगर आधे आस्तीन, जिसमें बदन ढका हुआ नहीं हो, तो उसको हटाया जा सकता है. इसके पक्ष में हम हैं कि शिक्षक इस तरह का कपड़ा पहनकर नहीं जाए. लेकिन अगर बदन ढका हुआ टी शर्ट है, तो उसको पहनकर जाने में कोई दिक्कत नहीं है. जीन्स और टी-शर्ट सहज, साधारण, टिकाऊ और कम पैसे में मिलने वाला कपड़ा है. इसपर शिक्षा विभाग की तरफ से फरमान जारी करना बिल्कुल सही नहीं है.
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पहनावे में बदलाव से नहीं बदलेगा शिक्षा विभाग
वहीं शिक्षक राकेश कुमार ने लोकल 18 को बताया कि जीन्स और टी-शर्ट कम दाम में मिलता है. शिक्षक को सहज लगता है, तो वो अपना जाकर खरीद लेते हैं और पहन लेते हैं. शिक्षा विभाग की मनसा है कि किसी तरह शिक्षक को परेशान करें. पहनावा में बदलाव कर देने से शिक्षा विभाग में बदलाव कैसे होगा. व्यक्तिगत लोगों का अपना-अपना चयन होता है कि उन्हें क्या पहनना है. अब व्यक्तिगत चयन पर आप्पति है कि जीन्स और टी-शर्ट बुरा है. इसे नहीं पहनना है, तो ड्रेस कोड ही लागू कर दें. इसके बाद कोई आप्पती ही नहीं रहेगी. कल से कोई लूंगी में जाएगा, तो कोई अपने अपने विचार से कपड़ा पहनकर जाएगा. 75 चीज निकलने से अच्छा है कि ड्रेस कोड निकाल दीजिए. आप पैसा भी तय कर दीजिए, सब आपके अनुसार चलेगा.
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FIRST PUBLISHED :
October 10, 2024, 16:50 IST