संगम पर सबकी अपनी-अपनी किस्मत, आस्था के जनसैलाब में भाग्य का खेल, कोई अपनों...

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Last Updated:January 31, 2025, 07:29 IST

Mahakumbh Stampede: लीना ने लगातार अपनी मां को फोन मिलाया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला, जिससे उनकी धड़कनें और बढ़ती गईं. लीना की मां तीर्थयात्रियों की बाढ़ में कहीं खो गईं.

संगम पर सबकी अपनी-अपनी किस्मत, आस्था के जनसैलाब में भाग्य का खेल, कोई अपनों...

महाकुंभ में भगदड़ के बाद कई लोग अपनों से बिछड़े.

हाइलाइट्स

  • महाकुंभ में भगदड़ की घटना के बाद से कई लोग लापता हैं, जिनके अपने उन्हें तलाश रहे हैं.
  • भगदड़ की घटना के बाद कुछ लोग लापता हो गए, जिनमें से कुछ लोग खोया-पाया केंद्र पर मिले.

Mahakumbh Stampede: महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर हुई घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. संगम के तट पर आस्था और भाग्य इस कदर आपस में जुड़े की किसी ने इसकी कल्पना तक नहीं की थी. करोड़ों लोगों से पटे संगम तट पर कब भगदड़ मच गई, किसी को पता ही नहीं चला और देखते-देखते भक्ति का मंजर दुख और चीत्कार में बदल गया. कोई मदद की गुहार लगा रहा था तो कोई अपनों को ढूंढते हुए आवाज लगा रहा था. लेकिन इस दौरान कई लोगों को निराशा मिली. ना उनके अपनों के मोबाइल फोन मिल रहे थे और ना ही वो. ऐसे ही अपनों को तलाश रही थीं लीना साहू, जो अमेरिका से आई थीं संगम में डुबकी लगाने. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था और उनकी 70 वर्षीय मां चिन्मया बिछड़ गईं. लीना ने लगातार अपनी मां को फोन मिलाया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला, जिससे उनकी धड़कनें और बढ़ती गईं. लीना की मां तीर्थयात्रियों की बाढ़ में कहीं खो गईं.

चिन्मया तीर्थयात्रा पर गए परिवार के पांच सदस्यों में से एक थीं. चिन्मया के भतीजे गौरव साहू ने बताया, “भुवनेश्वर से मेरी चाची हमारे साथ आई थीं. हम 26 जनवरी को कटक में ट्रेन में चढ़े और 28 जनवरी की आधी रात (अमृत स्नान से कुछ घंटे पहले) प्रयागराज में अपने होटल पहुंचे. थोड़ी देर आराम करने के बाद, हम लगभग 2 बजे संगम के लिए रवाना हुए. बीच रास्ते में, हमें पता चला कि भगदड़ मच गई है. मुझे यह देखकर बहुत डर लगा कि मेरी चाची कहीं नहीं है.”

फिर, गुरुवार दोपहर को, उनको एक फोन आया, जिससे उनकी निराशा आशा में बदल गई और खुशियों की लहर दौड़ गई. चिन्मया को खोया और पाया केंद्र 21 में पाया गया, जो प्रशासन द्वारा स्थापित कई केंद्रों में से एक है. चाची के मिलने के बाद गौरव ने कहा, “ऐसा लगा जैसे हमें दोबारा जिंदगी मिल गई.”

एक अलग कोने में, बंगाल के मुकेश चौहान उदासी के साथ घूम रहे थे. क्योंकि भगदड़ के दौरान उनके पिता आशीष चौहान गायब हो गए थे. उन्होंने कहा, “मैं देखता रहा, उनका नाम पुकारता रहा, भीड़ में हर चेहरे को ढूंढता रहा. लेकिन वह कहीं मिले. हालांकि बाद में उनके पिता सेक्टर 18 के एक शिविर में मिले. पिता को देखते ही मुकेश के आंसू आ गए. लेकिन हर कोई इतना भाग्यशाली नहीं था.

जीतेन्द्र साहू विशाल मैदान में घूमते रहे, अपनी चाची शकुंतला देवी का पता लगाने के लिए भीड़ पर निगाहें गड़ाए रहे. 70 साल की महिला, वह एक ग्रुप के साथ ग्वालियर से आई थीं. जितेंद्र ने बताया कि उनकी चाची का फोन लग नहीं रहा है. कुछ नहीं पता है कि क्या करें. यूपी के हमीरपुर के राजेश निषाद के लिए उम्मीद संगम के पानी की तरह उनकी उंगलियों से फिसल रही थी. उनकी मां फूली निषाद ने बुधवार शाम अपने परिवार के साथ डुबकी लगाई थी, लेकिन भगदड़ के बाद से वह गायब हो गईं.

First Published :

January 31, 2025, 07:29 IST

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