संगीत नगरी में मशहूर है बैजा ताल...तानसेन के सम्मान में बने पत्थर के वाद्य यंत्रों से मिलती है प्रेरणा
ग्वालियर, जिसे संगीत नगरी के नाम से जाना जाता है, ने भारतीय संगीत में अपनी एक विशेष पहचान बनाई है. इस ऐतिहासिक शहर की मिट्टी में संगीत और ललित कलाओं की गूंज हमेशा से रही है. यहां के कण-कण में संगीत बसता है, और इसका सबसे बड़ा प्रमाण है महान संगीतज्ञ तानसेन, जिन्होंने इस धरती पर अपनी संगीत साधना की. ग्वालियर के बैजा ताल पर तानसेन के सम्मान में पत्थर के वाद्य यंत्रों की मूर्तियां स्थापित की गई हैं, जो यहां आने वाले लोगों को न केवल तानसेन की याद दिलाती हैं, बल्कि संगीत के प्रति उनकी गहरी प्रेरणा का स्रोत भी बनती हैं.
बैजा ताल: संगीत का प्रतीक
ग्वालियर के बैजा ताल का ऐतिहासिक महत्व तानसेन और संगीत से जुड़ा हुआ है. बैजा ताल में स्थापित किए गए पत्थर के वाद्य यंत्र ग्वालियर के संगीत प्रेमियों और कलाकारों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल बन गए हैं. यह स्थान उन लोगों के लिए खास महत्व रखता है, जो संगीत के प्रति अपने प्रेम और समर्पण को व्यक्त करना चाहते हैं. इन पत्थर के वाद्य यंत्रों में बांसुरी, सितार, तबला, पखावज और अन्य शास्त्रीय यंत्रों की प्रतिकृतियां हैं, जिन्हें बहुत ही कुशलता से तराशा गया है. इन मूर्तियों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे ये यंत्र किसी भी समय संगीत की ध्वनि उत्पन्न कर सकते हैं.
यहां की सबसे खास बात यह है कि इन वाद्य यंत्रों की मूर्तियां संगीत की महान परंपरा और तानसेन के योगदान को दर्शाती हैं. ग्वालियर के प्रशासन ने इन मूर्तियों को यहां स्थापित करके शहर की संगीत परंपरा को जीवित रखा है, ताकि लोग तानसेन की महानता को याद रखें और संगीत को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाएं.
तानसेन समारोह: संगीत प्रेमियों के लिए महोत्सव
ग्वालियर में हर साल दिसंबर के महीने में तानसेन समारोह आयोजित किया जाता है, जो देशभर के संगीत प्रेमियों और कलाकारों को एक साथ लाता है. इस समारोह में देश के जाने-माने शास्त्रीय संगीतकार और वादक हिस्सा लेते हैं और अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं. यह महोत्सव संगीत की विभिन्न शैलियों, जैसे ध्रुपद, खयाल, ठुमरी और वेस्टर्न म्यूजिक का संगम होता है.
तानसेन समारोह न केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम है, बल्कि यह ग्वालियर की संगीत परंपरा को आगे बढ़ाने और नए कलाकारों को प्रेरित करने का एक सशक्त माध्यम है. संगीत का यह उत्सव तानसेन की महानता का जश्न मनाने और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए आयोजित किया जाता है. यह समारोह ग्वालियर की सांगीतिक धरोहर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान दिलाता है.
पत्थर के वाद्य यंत्र: प्रेरणा और स्मृति
ग्वालियर के बैजा ताल पर स्थापित पत्थर के वाद्य यंत्र न केवल शिल्पकला का अद्वितीय उदाहरण हैं, बल्कि ये मूर्तियां यहां आने वाले लोगों को संगीत के प्रति प्रेरित भी करती हैं. इन मूर्तियों को देखकर यह एहसास होता है कि ग्वालियर में संगीत केवल कला नहीं, बल्कि जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है. यहां आकर लोग इस बात को समझते हैं कि संगीत न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह आत्मा की शांति और सृजनात्मकता का भी स्रोत है.
ग्वालियर की सांगीतिक धरोहर
ग्वालियर न केवल तानसेन की भूमि है, बल्कि यह संगीत की धारा को प्रवाहित करने वाला एक प्रमुख केंद्र भी है. इस शहर ने संगीत के क्षेत्र में अनेक महान कलाकारों को जन्म दिया है, जो आज भी भारतीय शास्त्रीय संगीत में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं. ग्वालियर के संगीत घरानों ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है और इसे विश्वभर में पहचान दिलाई है.
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FIRST PUBLISHED :
October 22, 2024, 15:01 IST