संतान प्राप्ति के लिए इस मंदिर में दंपति करते हैं खास अनुष्ठान, अबतक 48 कपल करा चुके रजिस्ट्रेशन
श्रीनगर गढ़वाल: उत्तराखंड में भगवान शिव के कई पौराणिक मंदिर हैं, लेकिन श्रीनगर गढ़वाल स्थित कमलेश्वर महादेव मंदिर की महत्ता खास मानी जाती है. यहां की मान्यता के अनुसार, कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी की रात को “खड़े दीये” का अनुष्ठान करने से निःसंतान दंपतियों को संतान प्राप्ति होती है. इसी वजह से देश-विदेश से निःसंतान दंपति इस अनुष्ठान में भाग लेने के लिए यहां आते हैं. इस वर्ष यह अनुष्ठान 14 नवंबर को होगा, और पंजीकरण प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. अब तक 48 निःसंतान दंपतियों ने पंजीकरण करवाया है.
कमलेश्वर मंदिर के महंत आशुतोष पुरी ने लोकल 18 को बताया कि चेन्नई, जयपुर, दिल्ली, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, नोएडा सहित उत्तराखंड से 48 निःसंतान दंपतियों ने पंजीकरण करवाया है. मंदिर समिति की ओर से बैकुंठ चतुर्दशी के अनुष्ठान की तैयारियां तेजी से चल रही हैं. पिछले वर्ष 2023 में 175 दंपतियों ने पंजीकरण करवाया था. इच्छुक दंपति महंत आशुतोष पुरी से फोन नंबर 9412324526 पर संपर्क कर अपना पंजीकरण करवा सकते हैं.
बैकुंठ चतुर्दशी की तैयारियां
कमलेश्वर मंदिर परिसर को इस पावन अवसर के लिए सजाया जा रहा है. सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जा रहे हैं. इस वर्ष भी बड़ी संख्या में निःसंतान दंपतियों के आने की संभावना है, जो संतान प्राप्ति की मनोकामना लेकर खड़े दीये का अनुष्ठान करेंगे.
कमलेश्वर मंदिर से जुड़ी पौराणिक मान्यता
मान्यता है कि जब देवताओं और असुरों के बीच युद्ध हो रहा था और देवता हारने लगे थे, तो वे भगवान विष्णु की शरण में गए. भगवान विष्णु ने पहले भगवान शिव की पूजा करने का निर्णय लिया और अब जहां कमलेश्वर महादेव मंदिर स्थित है, वहां जाकर उन्होंने शिवजी को कमल पुष्प अर्पित किए. लेकिन भगवान शिव ने अपनी शक्ति से एक कमल छिपा लिया. तब विष्णु जी ने कमल के स्थान पर अपना नेत्र अर्पित करने का निर्णय लिया. जैसे ही उन्होंने अपना नेत्र अर्पित करने की कोशिश की, भगवान शिव प्रकट हो गए और उन्हें सुदर्शन चक्र प्रदान किया. तभी से यह मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी पर खड़े दीये का अनुष्ठान करने से निःसंतान दंपतियों को संतान का आशीर्वाद मिलता है.
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FIRST PUBLISHED :
October 8, 2024, 17:05 IST
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