उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हुई हिंसा को लेकर राजनीति जारी है। इस हिंसा में कई लोगों की जाने जा चुकी हैं। मामला अब पुलिस के पास है और पुलिस कई एंगल से इसकी जांच कर रही है। पुलिस सबसे पहले इस बात की जांच कर रही है कि हिंसा वाले दिन जामा मस्जिद के आसपास भीड़ किस के कहने पर इकट्ठा हुई थी। पुलिस की जांच के लिए दूसरा सवाल यह है कि मौके पर मौजूद भीड़ को हिंसा के लिए किसने उकसाया। पुलिस संभाल की शाही जामा मस्जिद के आसपास के इलाकों में लगे मोबाइल डेटा की जानकारी इक्ट्ठा करने में लगी है, ताकि ये पता लगाया जा सके कि हिंसा के समय कितने मोबाइल नंबर घटनस्थल पर एक्टिवेट थे। उनके डेटा और डंप डेटा को भी पुलिस इकट्ठा कर रही है, जो पुलिस की जांच का अहम हिस्सा है।
डेटा के जरिए दंगाइयों की होगी पहचान
तीसरा एंगल यह है कि हिंसा के दौरान दंगाइयों द्वारा तोड़े गए सीसीटीवी कैमरों से डीवीरआर जब्त कर उनकी फुटेज रिकवर की जा रही है ताकि दंगाइयों की पहचान की जा सके। बता दें कि संभल पुलिस ने अभी तक 27 मोबाइल फोन को फ़ॉरेंसिक लैब में जांच के लिए भेजा है, ताकि फोन में से डिलीट डेटा को रिकवर कर ये पता लगाया जा सके कि हिंसा से पहले क्या दंगों की प्लानिंग की गई थी। संभल पुलिस ने कुछ सोशल मीडिया हैंडलों को आइडेंटिफाई किया है। अब पुलिस इन सोशल मीडिया हैंडलों के द्वारा पोस्ट की गई वीडियो मैसेज को एनालाइज कर रही है।
स्थानीय लोगों का बयान दर्ज करेगी संभल पुलिस
संभल पुलिस ने हिंसा के समय के सीसीटीवी कैमरों, मोबाइल वीडियो और ड्रोन कैमरे की फुटेज को खंगालने के लिए एक स्पेशल टीम बनाई है ताकि आरोपियों की पहचान की जा सके। संभल पुलिस रविवार को हुई हिंसा के मामले में जल्द ही स्थानीय लोगों के बयान भी दर्ज करेगी ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके।