मुंबई: पहले के समय में, नवजात शिशु के आहार में मां के दूध को सबसे ज्यादा अहमियत दी जाती थी. उस समय परंपरागत रूप से, मां का दूध बच्चे को दिया जाता था, लेकिन आजकल के बदलते लाइफस्टाइल और बाजार में उपलब्ध प्रोसेस्ड मिल्क के कारण शिशु आहार (baby food) में बड़ा बदलाव आया है. बता दें कि कई माताओं को यात्रा करते समय या विदेशों में रहते हुए फॉर्मूला फीडिंग पर निर्भर रहना पड़ता है, तो चलिए फॉर्मूला फीडिंग के बारे में सब कुछ जानते हैं…
फॉर्मूला फीडिंग क्या है?
बता दें कि फॉर्मूला फीडिंग का मतलब है, मां के दूध की बजाय प्रोसेस्ड मिल्क, मिल्क पाउडर आदि से बच्चे को दूध पिलाना. हालांकि, आजकल की लाइफस्टाइल में यह तरीका आसान लगता है, लेकिन यह बच्चे के लिए खतरनाक हो सकता है. लोकल 18 से बात करते हुए डॉ. अरविंद शर्मा ने कहा कि प्रोसेस्ड मिल्क बच्चे के पाचन तंत्र (Child’s Digestive System))पर नकारात्मक असर (Negative effect) डालता है. इससे बच्चे को कब्ज हो सकती है. इसके अलावा, अगर बोतल में दिया गया दूध सही से सैनेटाइज नहीं किया गया हो तो यह बीमारियां भी फैला सकता है.”
मां के दूध के फायदे
बता दें कि जन्म के पहले छह महीनों तक मां का दूध बहुत जरूरी होता है. मां का दूध बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होता है. इसके अलावा, यदि मां के शरीर में जमा दूध समय पर नहीं निकाला जाता है तो मां को शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. मां का दूध केवल बच्चे के लिए आहार नहीं होता, बल्कि यह इम्यूनिटी-बूस्टिंग औषधि भी होता है.
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बदलते लाइफस्टाइल का असर
आजकल कई माताओं को अलग-अलग कारणों से फॉर्मूला फीडिंग अपनानी पड़ती है, लेकिन यह तरीका मां और बच्चे दोनों के लिए नकारात्मक असर डालता है. डॉक्टर और विशेषज्ञ इस बात से साफ हैं कि बाजार का दूध या मिल्क पाउडर कभी भी मां के दूध का विकल्प नहीं हो सकता.
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FIRST PUBLISHED :
November 27, 2024, 11:04 IST
Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.