सरसों की बुवाई
रायबरेली: धान की कटाई के साथ ही रबी फसलों की बुवाई का सीजन शुरू हो जाता है, जिसमें गेहूं मुख्य फसल मानी जाती है. इसके अलावा किसान चना, मटर और सरसों की बुवाई भी करते हैं. सरसों की खेती करने वाले किसानों के लिए उन्नत किस्मों का चयन करना बेहद जरूरी है, जिससे उन्हें बेहतर पैदावार मिल सके. आज हम कृषि विशेषज्ञ से जानेंगे कि सरसों की कौन सी उन्नत किस्म कम समय में तैयार हो जाती है और अधिक मुनाफा देती है.
राजकीय कृषि केंद्र शिवगढ़, रायबरेली के प्रभारी अधिकारी शिव शंकर वर्मा (बीएससी एजी, डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय फैजाबाद) बताते हैं कि किसान, गेहूं के साथ-साथ सरसों की बुवाई भी करते हैं. ऐसे में सरसों की खेती करने वाले किसानों को उन्नत किस्म का चयन करना चाहिए. गुजरात स्थित आणंद एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने सरसों की एक नई किस्म “जीएम सरसों-8” विकसित की है, जिसे “आनंद हेमा” के नाम से भी जाना जाता है. यह किस्म कम समय में तैयार होती है और अधिक पैदावार देती है.
जीएम-8 किस्म की विशेषताएं
शिव शंकर वर्मा ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि सरसों की जीएम-8 किस्म बुवाई के केवल 94 दिनों में पककर तैयार हो जाती है, जबकि अन्य प्रजातियों को 125-130 दिन लगते हैं. इसकी औसत उपज 2791 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है, जो अन्य किस्मों से काफी बेहतर है. खास बात यह है कि इस किस्म में तेल की मात्रा भी अन्य किस्मों से अधिक होती है, जिससे किसान न केवल बेहतर उत्पादन बल्कि अधिक मुनाफा भी कमा सकते हैं.
किसानों के लिए मुनाफे वाली किस्म
सरसों की जीएम-8 किस्म किसानों के लिए एक मुनाफे वाला विकल्प है. इसके कम समय में तैयार होने और उच्च उत्पादन क्षमता के चलते किसान इसे अपनाकर बेहतर आय प्राप्त कर सकते हैं. इस किस्म की बुवाई से किसान न केवल अच्छी पैदावार बल्कि बाजार में भी इसका अच्छा दाम प्राप्त कर सकते हैं, जिससे उनकी आय में बढ़ोतरी होगी.
Tags: Agriculture, Local18
FIRST PUBLISHED :
October 22, 2024, 15:52 IST