सहीजन का अचार बनाती महिलाएं
आजमगढ़: यूपी के आजमगढ़ जनपद में छठी गांव ब्लॉक में एक गांव संग्रामपुर है. यहां गांव निवासी राजेश यादव अलग-अलग तरीके से खेती करते हैं. किसान की अपनी सूझबूझ और कुछ नया करने की चाहत ने उन्हें अन्य किसानों से अलग बना दिया है. आज वह सहजन की खेती से विभिन्न प्रकार के उत्पाद बनाकर मार्केट में बेच रहे हैं. साथ ही अन्य किसानों के लिए आत्मनिर्भरता की नई कहानी लिख रहे हैं. वह खेती किसानी करते हुए आज के युवाओं के लिए भी प्रेरणा स्रोत हैं, जिन्हें लगता है कि खेती एक छोटा व्यवसाय है. खेती की बदौलत राजेश ने आज क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई है.
सहजन के लड्डू और अचार की है डिमांड
किसान राजेश यादव पारंपरिक खेती की जगह अलग तरह की खेती करने की सोच रहे थे. इसके बाद काफी सोचने समझने और रिसर्च करने के बाद उन्होंने सहजन की खेती करने का निर्णय लिया. लिहाजा सहजन की खेती के अलावा उन्होंने सहिजन से बनने वाले विभिन्न प्रकार के उत्पादों को भी मार्केट में बनाकर बेचने के लिए ट्राई किया और उनका यह फार्मूला सक्सेस हो गया
किसान राजेश यादव आज सहजन की खेती के साथ-साथ उससे विभिन्न प्रकार के उत्पाद जैसे सहजन की पत्तियों से लड्डू, पाउडर बनाने के साथ-साथ बचे हुए फल से अचार भी बनाते हैं, जिससे वह लाखों रुपए की आमदनी कर रहे हैं. साथ ही कई लोगों को रोजगार भी मिला है.
राजेश ने बताया कि सहजन से बनने वाले उत्पादों को गांव की ही महिलाओं द्वारा तैयार किया जाता है. शुरुआती दौर में महिलाओं को 7 से 8 हजार रुपए प्रतिमाह तक की आमदनी आसानी से हो जाती है. उन्होंने बताया कि सहजन से बने अचार की मांग अधिक है. क्योंकि यह बेहद पौष्टिक और स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक है. यही कारण है कि यह मार्केट में हाथों-हाथ बिक जाती है. मार्केट में सहजन की पत्तियों के बनने वाले लड्डुओं की कीमत 600 रुपए प्रति किलो है. वहीं, अचार लगभग 300 रुपए प्रति किलो की दर से बिकता है.
100 से अधिक महिलाओं को दिया रोजगार
उन्होंने अपने इस कारोबार में गांव की 100 से अधिक महिलाओं को रोजगार दिया हुआ है. सहजन में काफी औषधीय गुण होते हैं. इसलिए इससे बनने वाले उत्पाद भी मार्केट में अच्छी कीमत पर बिकते हैं. लोकल 18 से बात करते हुए किसान राजेश ने बताया कि वह शुरुआती दौर में सहजन की पत्तियों को बेचते थे. जिसे गुजरात की एक कंपनी खरीद कर ले जाती थी. बाद उन्होंने सहजन के उत्पादन के बारे में जानकारी एकत्रित की. उसके बाद वह सहजन की पत्तियों का पाउडर और लड्डू बनाकर बेचने लगे. उन्होंने 2022 में करीब 1 कुंतल लड्डू बेचा था.
खुद की कंपनी से होती है उत्पादों की ब्रांडिंग
इसके अलावा वह सहजन के बचे हुए फलों से आचार भी बनाते हैं, जिसमें गांव की महिलाएं समूह के तौर पर मिलकर काम करती हैं. अचार बनाकर क्षेत्र में बेचने के साथ-साथ उसे गुजरात की कंपनी भी खरीद कर ले जाती हैं. राजेश ने सठियांव फार्मर प्रोड्यूसर लिमिटेड नाम की कंपनी भी बनाकर अपने उत्पाद की ब्रांडिंग की है. वह अपने उत्पाद को ब्रांड पिक्सल मोरिंगा फ्रूट और पावर लीफ लड्डू बनाकर बेचते हैं. उन्होंने इस साल लगभग ढाई कुंतल लड्डू और आचार की बिक्री की है, जिसे लखनऊ की एक कंपनी के द्वारा खरीदा गया है.
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FIRST PUBLISHED :
November 27, 2024, 08:38 IST