Internet
Canteen Business Idea: आजकल लोग अलग-अलग तरीकों से कमाई कर रहे हैं. 8वीं पास शीला देवी की कहानी भी कमाल है. वो 2019 में ही स्वयं सहायता समूह से जुड़ गई थी और वो अपने समूह की अध्यक्ष भी हैं. उनके समूह का नाम “सीता आजीविका मिशन” है. समूह में रहकर ही ब्लॉक के कर्मचारी द्वारा उनको कैंटीन खोलने की प्रेरणा मिली. शीला देवी ग्राम पंचायत सिटकोहर विकासखंड गौर की रहने वाली हैं. शीला देवी महज 8वीं पास हैं. 4 साल पहले उनकी आर्थिक स्थिति बहुत ही दयनीय थी. उन्होंने तब समूह से जुड़कर अपने कदम घर के दहलीज से बाहर निकाला तो आर्थिक उन्नति के नए-नए आयाम खुलते चले गए.
2019 में स्वयं सहायता समूह से जुड़ी
शीला देवी लोकल 18 से बातचीत में बताती हैं कि वह 2019 में स्वयं सहायता समूह से जुड़ गई थीं. वह अपने समूह की अध्यक्ष भी हैं. उनके समूह का नाम “सीता आजीविका मिशन” है. समूह में रहकर ही ब्लॉक के कर्मचारी द्वारा उनको कैंटीन खोलने की प्रेरणा मिली. आज कैंटीन के दम पर ही वह अपने बच्चों का अच्छे से भरण-पोषण, शिक्षा, चिकित्सा सब कुछ बेहतर ढंग से देख पा रही हैं. दूसरी तरफ अन्य महिलाओं को भी स्वरोजगार चुनने के लिए प्रेरणा दे रही हैं.
2020 में खोली थी कैंटीन
शीला देवी ने “नेशनल रूरल लाइवलीहुड मिशन” NRLM के तहत आर्थिक सहायता प्राप्त कर एन आर एल एम के कर्मचारियों की प्रेरणा से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गौर में 2020 में कैंटीन खोली. शीला बताती हैं कि इससे पूर्व वह हाउसवाइफ थीं. घर से बाहर निकलने का मौका नहीं मिलता था. उनके पति मेहनत मजदूरी किया करते थे. प्रतिदिन 300 रुपए उनको मिलते थे. जिससे पूरे परिवार का सही से भरण पोषण तक नहीं हो पता था.
कैंटीन खोलने के बाद वो प्रतिदिन अच्छी खासी कमाई कर रही हैं. इससे उनके बजट में इजाफा हो रहा है और उनकी आर्थिक स्थिति भी सही हो गई है. इस समय उनके बच्चे अच्छे विद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. सामाजिक स्थिति भी ठीक-ठाक हो गई है. शीला देवी बताती हैं कि हम दोनों परिवार मिलजुल कर कैंटीन का पूरा कार्य करते हैं.
ऐसे मिल रहा है फायदा
जनपद के विकासखंड का गौर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है. एनआरएलएम के कर्मचारियों के प्रयास से हॉस्पिटल के अंदर कैंटीन खोलने की इजाजत मिल गई, जिससे उनकी कैंटीन अच्छी खासी चल रही है. शीला देवी बताती है कि सुबह 6:00 बजे से लेकर रात 11:00 तक उनकी कैंटीन खुली रहती है चाय, समोसे, बिस्किट, पकौड़ी, मटर, जलेबी के अलावा वह उचित मूल्य पर ग्राहकों को खाना भी उपलब्ध कराती हैं. उनके एक थाली भोजन का मूल्य मात्र 70 रुपए होता है.
इसे भी पढ़ें – नौकरी के चक्कर में नहीं पड़े ये जनाब…16 साल की उम्र में शुरू किया खुद का काम, हो गए मालामाल!
अन्य महिलाओं के लिए बनीं प्रेरणा स्रोत
शीला देवी के इस कामयाबी से अन्य महिलाएं भी प्रेरणा ले रही हैं. शीला देवी स्वयं बताती हैं कि महिलाओं को अपने घर की दहलीज से बाहर कदम निकालना चाहिए.
Tags: Basti news, Local18
FIRST PUBLISHED :
November 27, 2024, 10:47 IST