Property Rights: संपत्ति का बंटवारा हमेशा से कई परिवारों में विवाद का बड़ा मुद्दा रहा है, खासकर भाई-भाई में. पिता की प्रॉपर्टी पर बेटों के साथ बेटियां भी हक जमा सकती है तो वहीं पति की संपत्ति पर घरवाली के साथ-साथ बाहरवाली भी हक मांग सकती है. दरअसल, अगर कोई व्यक्ति दो शादी करता है तो संपत्ति के बंटवारे में पेंच फंस सकता है. अगर दूसरा विवाह वैध है, तो दूसरी बीवी और उसके बच्चों के पास पति की पैतृक और अन्य संपत्तियों में संपत्ति का अधिकार होता है.
हालांकि, दूसरी पत्नी का पति की प्रॉपर्टी में अधिकार मुख्य रूप से दो वजहों के आधार पर निर्धारित होता है. इनमें पहला शादी की कानूनी वैधता और धार्मिक के आधार पर लागू होने वाले नियम-कानून. आइये आपको बताते हैं कि आखिर कैसे दूसरी बीवी पति की संपत्ति में अपना हक जता सकती है.
सौतन कब मांग सकती है हक
हाउसिंग डॉटकॉम की रिपोर्ट के अनुसार, दूसरी बीवी पति की प्रॉपर्टी पर हक तभी मांग सकती है जब उसकी शादी वैध करार हो. हिन्दू मैरिज एक्ट, 1955 के अनुसार, दूसरी शादी को कानूनी दर्जा तभी मिलता है जब विवाह के समय, किसी भी पक्ष का जीवनसाथी जीवित नहीं होना चाहिए या उनके बीच तलाक हो गया हो. इन दोनों स्थिति में से एक के पूर्ण होने पर दूसरी शादी मान्य होती है. भारत में उत्तराधिकार कानून, कानूनी रूप से वैध विवाह की स्थिति में दूसरी पत्नी को पहली पत्नी के बराबर मानता है और उसे प्रॉपर्टी में हिस्से का अधिकार देता है.
शादी वैध नहीं होने पर भी मिलता ये अधिकार
अगर दूसरी महिला के साथ पति का विवाह कानूनी रूप से वैध नहीं है तो दूसरी पत्नी अपने पति की पैतृक संपत्ति पर कोई दावा नहीं कर सकेगी. हालाँकि, शर्त पति की स्वयं द्वारा अर्जित संपत्ति के मामले में लागू नहीं होगी. वह वसीयत के माध्यम से इसे दूसरी पत्नी सहित किसी के लिए भी छोड़ने के लिए स्वतंत्र होगा. हालाँकि, यदि वह बिना वसीयत छोड़े मर जाता है (जिसे कानूनी भाषा में निर्वसीयत कहा जाता है), तो उसकी संपत्ति उस पर लागू उत्तराधिकार कानूनों के अनुसार, उसके कानूनी उत्तराधिकारियों के बीच विभाजित की जाएगी.
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FIRST PUBLISHED :
November 27, 2024, 12:46 IST