कुल्लू. रूस के मशहूर पेंटर निकोलस रॉरिक न सिर्फ अपनी खूबसूरत पेंटिंग बल्कि अपने देव संस्कृति के प्रति प्रेम के कारण भी कुल्लू के लोगों में लोकप्रिय रहे हैं. यहां निकोलस रॉरिक ने कई देवी-देवताओं की पुरानी मूर्तियों और चिन्हों को भी संभाल कर रखने में बड़ा योगदान दिया है. निकोलस रॉरिक के घर पर कई सारी देवी-देवताओं की मूर्तियों को संभाला गया है. जिनका संबंध यहां के इतिहास से जुड़ा हुआ मिलता है.
कौन है निकोलस रॉरिक
निकोलस रॉरिक रूस के एक मशहूर पेंटर हैं जो हिमाचल की वादियों में आकर इन पहाड़ों को अपने कैनवास पर उतारा करते थे. यहां आए और फिर कुल्लू के नग्गर के ही होकर रह गए. निकोलस रॉरिक नग्गर में रहते हुए न सिर्फ यहां की वादियों को तस्वीरों में कैद करते रहे बल्कि, उनके द्वारा यहां के देवी देवताओं की मूर्तियों और लुप्त होती ऐतिहासिक धरोहरों को भी संभालने का काम किए गया. रॉरिक ने अपने नग्गर स्थित घर में यहां के स्थानीय देवी देवताओं से जुड़ी मोहरे, पुरानी अखंडित हो चुकी मूर्तियों और नक्काशी किए गए पत्थरों को भी संभाल कर रखने का काम किया. यहां ग्रामीणों द्वारा भी निकोलस को कुल्लू की संस्कृति बचाने का श्रेय दिया जाता है.
निकोलस के घर पर है कई प्राचीन मूर्तियां
इतिहासकार डॉ सूरत ठाकुर बताते हैं कि मशहूर पेंटर निकोलस रॉरिक हिमाचल में रहते हुए यहां की देव संस्कृति पर भी गहरी आस्था रखते थे. न सिर्फ उनके द्वारा इस घाटी में माने जाने वाले देवी-देवताओं की मूर्तियों और मोहरों को संभाला गया. यहां के इतिहास को भी संजोकर रखने का काम किया गया है.
इतिहासकार बताते हैं कि रॉरिक हाउस के आसपास के इलाके में यहां के स्थानीय देवता, बड़ा देवता का निवास माना जाता है. और निकोलस के द्वारा भी यहां आने के बाद इन देवता को सम्मान दिया गया. तभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद भी रॉरिक पर सदैव दिखा. उन्होंने बताया कि रॉरिक के द्वारा यहां आसपास के इलाकों से भी पुराने मूर्ति और पत्थरों पर कुरेदी गई देवताओं की अखंडित हो चुकी आकृतियों को भी उठा कर अपने घर ला कर संभाला जाता था. जिससे आज घाटी की कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक चीजें आपको रॉरिक की इस आर्ट गैलरी में देखने को मिल जाती है. ऐसे में यहां के इतिहास को बचाने में भी रॉरिक ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
Edited By- Anand Pandey
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FIRST PUBLISHED :
November 27, 2024, 14:57 IST