Explainer: क्यों हुआ इजरायल - हिजबुल्लाह में संघर्ष विराम, इसे किसकी जीत मानें

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हाइलाइट्स

इज़राइल और हिजबुल्लाह में 60 दिन का युद्धविरामअमेरिका और फ्रांस ने की मध्यस्थता, संयुक्त राष्ट्र करेगा निगरानीलेबनान सेना होगी तैनात, हिजबुल्लाह हटाएगा लड़ाके

इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच करीब 14 महीने के संघर्ष के बाद अब युद्ध विराम लागू हो चुका है. ये 27 नवंबर से प्रभावी हो गया. इसकी मध्यस्थता अमेरिका और फ्रांस ने की है. इस समझौते में 60 दिनों के लिए शत्रुता समाप्त करने की बात कही गई है. जिसके तहत हिजबुल्लाह को दक्षिणी लेबनान से अपनी सेना वापस बुलानी है और इजराइली सैनिक सीमा पार करके पीछे हट जाएंगे.

इस समझौते के बावजूद दोनों पक्षों ने युद्ध विराम की शर्तों का उल्लंघन होने पर सैन्य प्रतिक्रिया की चेतावनी दी है. युद्ध विराम का उद्देश्य क्षेत्रीय तनाव को कम करना और अधिक स्थायी शांति का मार्ग प्रशस्त करना है.

पिछले दो महीनों में इजरायली हमलों और जमीनी हमलों के कारण लेबनान में लगभग 3,100 लोग मारे गए हैं, तथा 1.2 मिलियन लोग – जो कि कुल आबादी का पांचवां हिस्सा हैं, उन्हें विस्थापित होना पड़ा.

सवाल – इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच जबरदस्त युद्ध चल रहा था, ये संघर्ष विराम अचानक कैसे हो गया?
– ये अचानक नहीं हुआ. इजरायल लगातार इसके संकेत दे रहा था. पिछले कुछ समय से इजरायल की ओर से उत्तरी लेबनान पर होने वाले हमलों में भी कमी आई है. दरअसल संयुक्त राष्ट्र की पहल पर अमेरिका और फ्रांस मध्यस्थता का काम कर रहे थे.

इजरायल और हिज़बुल्लाह के बीच हालिया संघर्ष विराम मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय दबाव और क्षेत्रीय स्थिरता की चिंताओं के कारण हुआ. अमेरिका और फ्रांस सहित कई देशों ने संघर्ष विराम के लिए अपील की ताकि दोनों पक्षों के बीच लगातार बढ़ते तनाव को रोका जा सके. इन संघर्षों से हजारों लोग विस्थापित हो चुके हैं और क्षेत्रीय युद्ध का खतरा बढ़ गया था.

संयुक्त राष्ट्र ने भी लेबनान-इजरायल सीमा पर बढ़ती हिंसा पर चिंता जताई. संघर्ष को और आगे नहीं बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया गया. यह संघर्ष विराम केवल सीमित समय के लिए लागू किया गया है. मुख्य रूप से सीमाई क्षेत्रों पर केंद्रित है.इसका उद्देश्य बातचीत के लिए माहौल तैयार करना और हिंसा को सीमित करना है.

सवाल – किन शर्तों पर फिलहाल इजराइल-हिजबुल्लाह युद्ध विराम समझौता हुआ है?
– दोनों पक्षों के बीच शत्रुता को रोकने के लिए 60-दिवसीय युद्ध विराम होगा.
– हिजबुल्लाह को इजराइल-लेबनान सीमा से लगभग 40 किलोमीटर दूर अपनी सेना वापस बुलानी होगी, जबकि इजराइली सैनिक पूरी तरह से लेबनानी क्षेत्र से पीछे हट जाएंगे.
– संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों द्वारा समर्थित लेबनानी सेना, अनुपालन सुनिश्चित करने और किसी भी शेष हथियार को नष्ट करने के लिए दक्षिणी लेबनान में हिजबुल्लाह की जगह लेगी.
– अमेरिका के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय समिति युद्ध विराम के पालन का निगरानी करेगी, जिसमें प्रावधान होगा कि अगर हिजबुल्लाह समझौते का उल्लंघन करता है तो इजराइल जवाब देगा.
– उल्लंघनों को संबोधित करने और युद्ध विराम की शर्तों का पालन सुनिश्चित करने के लिए यूएनआईएफआईएल, लेबनान और इजराइल को शामिल करते हुए एक त्रिपक्षीय तंत्र स्थापित किया जाएगा.

सवाल – तो शर्तों के अनुसार सबसे मुख्य बात 60 दिनों में क्या होगी?
– युद्ध विराम की शर्तों के अनुसार, 60 दिनों में हिजबुल्लाह ब्लू लाइन यानि लेबनान और इजरायल के बीच अनौपचारिक सीमा, जो उत्तर में लगभग 30 किमी (20 मील) दूर है, वहां से अपने लड़ाकों और हथियारों को हटा लेगा.
उस क्षेत्र में हिजबुल्लाह लड़ाकों के स्थान पर लेबनानी सेना तैनात की जाएगी, जो यह सुनिश्चित करेगी कि बुनियादी ढांचे या हथियार हटा दिए जाएं तथा उनका पुनर्निर्माण न किया जा सके.

सवाल – क्या इस समझौते से लेबनान सरकार मजबूत होगी, हिजबुल्लाह कमजोर हो सकता है?
– इजरायल और हिज़बुल्लाह के बीच संघर्ष विराम से हिज़बुल्लाह के कमजोर होने की संभावना कम है, क्योंकि यह संगठन अपने क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय समर्थकों, विशेष रूप से ईरान, से मजबूत सैन्य और आर्थिक सहायता प्राप्त करता है. हिज़बुल्लाह लेबनान की राजनीति और सुरक्षा ढांचे में भी गहरी पकड़ रखता है, जो इसे स्थायी रूप से कमजोर करना कठिन बनाता है. हां, अगर संघर्ष विराम के बाद इजरायल और अंतरराष्ट्रीय समुदाय लेबनान की सरकार को समर्थन देकर हिज़बुल्लाह के प्रभाव को सीमित करने का प्रयास करते हैं, तो यह संगठन कमजोर हो सकता है.

सवाल – क्या ये सही है कि लेबनान में हिजुबल्लाह को लेकर असंतोष बढ़ रहा है?
– ये बात सही है कि लेबनान में आतंरिक तौर पर हिजबुल्लाह के लिए चुनौतियां बढ़ रही हैं. ये समझौता हिज़बुल्लाह के लिए चुनौतियां पेश कर सकता है, जैसे कि उसके खिलाफ लेबनान के भीतर बढ़ती राजनीतिक असंतोष. लेबनान के आर्थिक संकट और सुरक्षा स्थितियों में गिरावट के लिए कई लोग हिज़बुल्लाह को जिम्मेदार मानते हैं.

सवाल – ये समझौता किसकी जीत है, इजरायल या हिजबुल्लाह या सभी की?
– इजरायल और हिज़बुल्लाह के बीच संघर्ष विराम को किसी एक पक्ष की स्पष्ट जीत कहना मुश्किल है. क्योंकि ये आमतौर पर अस्थायी उपाय है जो अंतरराष्ट्रीय दबाव और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के प्रयासों के तहत लागू किया गया है.

सवाल – क्या इस समझौते के बाद इजरायल की अंतरराष्ट्रीय आलोचना खत्म होगी?
– संघर्ष विराम के माध्यम से, इजरायल ने अंतरराष्ट्रीय आलोचना को कम करने और दीर्घकालिक रणनीतिक लाभ हासिल करने का मौका पाया है. हालांकि, इजरायल के लिए यह कोई बड़ी जीत नहीं मानी जा सकती, क्योंकि हिज़बुल्लाह की सैन्य क्षमताएं अभी भी बरकरार हैं और यह संगठन भविष्य में चुनौती पेश कर सकता है.

सवाल – हिजबुल्लाह की दृष्टि से ये समझौता उसके लिए कैसा रहेगा?
– संघर्ष विराम से हिज़बुल्लाह को अपनी ताकत को फिर से संगठित करने और अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करने का अवसर मिल सकता है. हालांकि, यह संगठन अपने समर्थकों और लेबनान की जनता से लगातार बढ़ते असंतोष का सामना कर रहा है, जो इसे कमजोर कर सकता है.

सवाल – क्या ये कहना चाहिए कि ये समझौता करना इजरायल के लिए मजबूरी थी?
– ये कहा जा सकता है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय तौर पर इजरायल की बहुत आलोचना हो रही थी. दूसरे दो मोर्चों पर अपने लगातार युद्ध से उसकी अर्थव्यवस्था गड़बड़ाई हुई थी. खुद उसके सैनिक अब युद्ध नहीं करना चाहते थे. देश की जनता भी इससे आजिज आ चुकी थी. फिर सबसे बड़ी बात ये भी है कि युद्ध विराम से इजरायल को ईरान से उत्पन्न खतरे पर ध्यान केंद्रित करने, सेना को आराम करने और आपूर्ति बढ़ाने का अवसर मिलेगा. हमास को अलग-थलग करने में मदद मिलेगी.

सवाल – तो क्या ये माना जाए कि गाजा में अभी इजरायल अपना आक्रमक अभियान चलाता रहेगा?
– ये देखने वाली बात होगी, क्योेंकि इसे लेकर भी इजरायल और नेतन्याहू की खासी आलोचना हो रहा है. वहां बड़े पैमाने पर तबाही ही नहीं हुई बल्कि निर्दोष बच्चे और लोग मारे गए हैं.
गाजा को लेकर वर्तमान में इजरायल और हमास के बीच संघर्ष विराम और कैदियों की अदला-बदली के प्रयास जारी हैं. हाल ही में मिस्र, कतर और अमेरिका की मध्यस्थता से गाजा में चार दिन के “मानवीय संघर्ष विराम” पर सहमति बनी थी. इससे गाजा में राहत सामग्री पहुंचाने की प्रक्रिया आसान हुई है.
इजरायल ने स्पष्ट किया है कि उसके सैन्य अभियान का लक्ष्य हमास को कमजोर करना और गाजा से सभी बंधकों की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित करना है.
भविष्य में गाजा पर स्थायी समझौता और शांति स्थापित करना इस बात पर निर्भर करेगा कि दोनों पक्ष कितना लचीलापन दिखाते हैं और अंतरराष्ट्रीय दबाव को स्वीकार करते हैं.

Tags: Explainer, Israel, Israel News, Middle east

FIRST PUBLISHED :

November 27, 2024, 17:15 IST

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