Last Updated:January 31, 2025, 12:22 IST
Staircase Vastu: वास्तु शास्त्र के अनुसार सीढ़ियों का निर्माण घर के ऊर्जा प्रवाह को प्रभावित करता है, इसलिए सीढ़ियों का निर्माण करते समय इंद्र, रज और यम के सिद्धांतों का पालन करना आवश्यक है.
Staircase Vastu: वास्तु शास्त्र भारतीय शिल्प और वास्तुकला का एक प्राचीन विज्ञान है. यह भवन निर्माण और डिजाइन के सिद्धांतों पर आधारित है जिसका उद्देश्य सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देना और नकारात्मक ऊर्जा को कम करना है. वास्तु शास्त्र में कई तत्वों और शक्तियों का वर्णन किया गया है जिनमें से इंद्र, रज और यम भी शामिल हैं. ज्योतिशाचार्य अंशुल त्रिपाठी घर की सीढ़ियों के निर्माण में इन तीनों को महत्वपूर्ण बता रहे हैं.
इंद्र, रज और यम: कौन हैं ये?
इंद्र: देवराज इंद्र को वर्षा और बिजली के देवता के रूप में जाना जाता है. वे पूर्व दिशा के स्वामी हैं और शक्ति, समृद्धि और सफलता का प्रतिनिधित्व करते हैं.
रज: रज एक तामसिक शक्ति है जो गति, ऊर्जा और परिवर्तन का प्रतीक है. यह दक्षिण-पूर्व दिशा से संबंधित है और जीवन में उत्साह और गतिविधि को दर्शाती है.
यम: यम मृत्यु के देवता हैं और दक्षिण दिशा के स्वामी हैं. उन्हें न्याय, धर्म और अनुशासन का प्रतीक माना जाता है.
सीढ़ियों के निर्माण में इनका महत्व
वास्तु शास्त्र के अनुसार, सीढ़ियों का निर्माण घर के ऊर्जा प्रवाह को प्रभावित करता है. सीढ़ियों की दिशा, आकार और संख्या घर में सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा के संतुलन को बिगाड़ या बना सकती है. इसलिए सीढ़ियों का निर्माण करते समय इंद्र, रज और यम के सिद्धांतों का पालन करना आवश्यक है.
दिशा: सीढ़ियों का निर्माण कभी भी उत्तर-पूर्व दिशा में नहीं करना चाहिए क्योंकि इसे ईशान कोण माना जाता है और यह देवताओं का स्थान होता है. सीढ़ियों के लिए सबसे अच्छी दिशा दक्षिण-पश्चिम है जिसे नैऋत्य कोण कहा जाता है.
आकार: सीढ़ियों का आकार आयताकार या वर्गाकार होना चाहिए. गोल या अनियमित आकार की सीढ़ियों से बचना चाहिए.
संख्या: सीढ़ियों की संख्या विषम होनी चाहिए जैसे कि 9, 11, 13. सम संख्या वाली सीढ़ियों को अशुभ माना जाता है.
इंद्र, रज और यम का संबंध
सीढ़ियों के निर्माण में इंद्र, रज और यम का विशेष ध्यान रखा जाता है. इन तीनों देवताओं को सीढ़ियों के विभिन्न भागों का प्रतिनिधित्व करने वाला माना जाता है.
इंद्र: सीढ़ियों की शुरुआत को इंद्र का स्थान माना जाता है. यह स्थान मजबूत और स्थिर होना चाहिए ताकि घर में प्रवेश करने वाले लोगों को सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव हो.
रज: सीढ़ियों के मध्य भाग को रज का स्थान माना जाता है. यह स्थान गति और ऊर्जा का प्रतीक है, इसलिए यहां सीढ़ियों की चौड़ाई और ऊंचाई सामान्य होनी चाहिए.
यम: सीढ़ियों के अंतिम भाग को यम का स्थान माना जाता है. यह स्थान न्याय और अनुशासन का प्रतीक है, इसलिए यहां सीढ़ियों की ऊंचाई थोड़ी कम होनी चाहिए.
First Published :
January 31, 2025, 12:22 IST