निमाड़ को लोक कला, काठी नृत्य
Folk Dance of Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र की अनोखी लोक कला, काठी नृत्य, शिव और माता गौरा की भक्ति का ...अधिक पढ़ें
- News18 Madhya Pradesh
- Last Updated : November 25, 2024, 15:30 IST
खरगोन. मध्य प्रदेश का निमाड़ अपनी अनोखी लोक कलां और संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है. काठी नृत्य यहां की प्रमुख लोक कलाओं में से एक है. भगवान शिव और माता गौरा की आराधना का यह अनोखा तरीका है, जो एक विद्या के रूप में अनादि काल से अनवरत जारी है. लोग पीढ़ी दर पीढ़ी इसे निभाते आ रहे हैं. हालांकि, वक्त के साथ लोग आधुनिक हो गए हैं, और इस तरह की लोक कलाएं विलुप्त होने लगी हैं. अब कुछ ही लोग हैं जो अपने पूर्वजों की धरोहर मानकर अब तक लोक कला से जुड़े हैं.
विगत 30 वर्षों से काठी नृत्य को पूर्वजों की विरासत मानकर जीवित रखने वाले खरगोन जिले के कसरावद निवासी मुख्य कलाकार दीपक खेड़े (भगत) बताते है कि काठी नृत्य दो अलग-अलग चीजों को मिलाकर बना एक नाम है. काठी जो कि माता गौरा का रूप होता है. एक बांस के डंडे को सोलह श्रृंगार करके गौरा के रूप में पूजते हैं. उसे साथ लेकर गांव-गांव घूमकर गीत गाकर नृत्य करते हैं.
महाशिवरात्रि पर होता है समापन
हर साल देव उठनी एकादशी को काठी उठाई जाती है, जिसका समापन महाशिवरात्रि पर होता है. इस बीच रोजाना अलग-अलग गांवों में माता के दर्शन और शिव-पार्वती के प्रति भक्ति जगाने के लिए श्रृंगारित काठी लेकर निकलते हैं. लोगों के घर-घर दस्तक देते हैं. पारंपरिक निमाड़ी गीत गाते हैं, धपली बजाते हैं और खास तरह का नृत्य करते हैं. महिलाएं काठी माता की पूजा करती हैं. भगत को दान देती हैं जिससे उसका घर चल सके.
भगत पहनते है खास पोशाक
बलाई समाज के लोग इस प्रथा को वर्षों से निभाते आ रहे हैं. पहले इस लोक कला का अभिनय करने के लिए से 4 से 6 लोगों की टीम होती थी. जिसमें 2 भगत होते थे, जो मुख्य भूमिका निभाते थे. अब एक भगत के साथ दो सहयोगी साथ चलते हैं. जो भगत बनते हैं वह लाल, पीले रंग की चटकदार पोशाक धारण करते हैं. सिर पर पगड़ी और कलगी बांधते हैं. विशेष आभूषण पहनते हैं. दूसरा व्यक्ति डुगडुगी और थाली बजाता है. एक व्यक्ति काठी माता को उठाकर रखता है.
निमाड़ी गीतों से करते है आराधना
वहीं, बांस की काठी को साड़ी, चूड़ियां, बिंदी, काजल जैसे सोलह श्रृंगार किए जाते हैं. भगत दीपक खेड़े बताते हैं कि इसमें गणेश वंदना के साथ भगवान शिव के गीत निमाड़ी में गाए जाते हैं. ताकि लोगों में शिव के प्रति लोगों की भक्ति बढ़े. महाशिवरात्रि के दिन काठी माता के श्रंगार को बड़ा महादेव के देवड़ा नदी में विसर्जित कर यह अनुष्ठान पूर्ण होता है.
Edited By- Anand Pandey
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FIRST PUBLISHED :
November 25, 2024, 15:30 IST