हैप्पी सीडर मशीन
रिपोर्ट- शशांक शेखर
जहानाबाद: आम तौर पर धान की कटाई के बाद किसानों के लिए पराली बड़ी समस्या बन जाती है. इससे अगली फसल लगाने में काफी कठिनाई होती है. किसान आमतौर पर पराली को खेतों में जला देते हैं लेकिन इससे प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होती है. इससे खेत भी बंजर होने का डर रहता है. ऐसे में इस समस्या का समाधान पाने के लिए लोकल 18 की टीम कृषि विज्ञान केंद्र गंधार पहुंची और वहां कृषि यंत्र एक्सपर्ट इंजीनियर जितेन्द्र कुमार से बातचीत की. जानिए उन्होंने क्या कुछ कहा.
एक्सपर्ट बताते हैं कि यदि किसान भाई रबी सीजन में बुआई के लिए हैप्पी सीडर मशीन का उपयोग करेंगे तो उन्हें पराली की समस्या से समाधान मिल जाएगा. इसके साथ ही उनकी उपज भी बढ़ेगी और मेहनत भी कम करना पड़ेगा. सिंचाई ज्यादा नहीं करना होगा. ऐसे में कम लागत में बेहतर मुनाफा हो सकता है और जमीन भी उपजाऊ बनी रहेगी.
पराली जलाने के झंझट से मिलेगी मुक्ति
जितेन्द्र कुमार कहते हैं कि हैप्पी सीडर मशीन का मुख्य काम हार्वेस्टर से कटाई के बाद फैले धान के पुआल को साफ कर आसानी से गेहूं की बुआई करना है. चूंकी इस पुआल के खेत में पड़े होने के चलते किसान समय पर गेहूं की बुआई नहीं कर पाते हैं. ऐसी स्थिति में वह उसे जला देते हैं. इससे प्रदूषण का स्तर आसपास के इलाके में बढ़ जाता है. पुआल जलाने से मिट्टी कड़ी हो जाती है और उसमें मौजूद लाभकारी जीवाणु भी मार जाते हैं. इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी कम हो जाती है. उपर की करीब 15 सेंटीमीटर मिट्टी ही खेती के लिए ज्यादा उपयोगी होती है. ऐसे में हैपी सीडर मशीन इन सारी समस्याओं का समाधान करती है और खेती को आसान बनाती है.
कैसे काम करती है यह मशीन
हैप्पी सीडर मशीन खेत में फैले पुआल के बीच में बिना खेत की जुताई किए गेहूं की बुआई करती है. जब हार्वेस्टर से धान की फसल काट जाती है और पुआल फैल जाता है. इस स्थिति में मशीन के एक्सल में एक तरफ लगा ब्लेड और दूसरी तरफ लगा फार पुआल से निजात दिलाने से लेकर बुआई करने तक में काम करता है. ब्लेड धान के पुआल को टुकड़े में काटकर खेत में बिछाने का काम करता है. फार का काम बिना जोते या जीरो टिलेज तकनीक से बुआई करना होता है. यह मशीन पंक्ति बद्ध तरीके से बुआई करती है. कुल मिलाकर देखें तो इस मशीन से बुआई करने पर पुआल जलाने की जरूरत नहीं पड़ी. साथ ही जब काटकर पुआल खेत में बिछ गया तो वह मल्च का भी काम करता है.
क्या होता है मल्च यानी पलवार
मल्च यानी पलवार का मतलब वह मिट्टी को ढककर रखने का काम करता है. मल्च करने से खेत में संरक्षित नमी ज्यादा दिन तक फसल को मिलती रहती है. ऐसे में किसान को सिंचाई करने की जरूरत कम होती है. खेत में मल्च रहने से खर पतवार की समस्या कम उत्पन्न होती है. मिट्टी भी मुलायम बनी रहती है. उसमें मौजूद लाभकारी जीवाणु आसानी से अपना काम करते रहते हैं. ऐसे में पौधा आसानी से खेत में उपलब्ध पोषक तत्व ग्रहण कर पाता है.
हैप्पी सीडर मशीन की खासियत
एक्सपर्ट के मुताबिक, हैप्पी सीडर मशीन जीरो टिलेज मशीन की इंप्रूव्ड तकनीक है. इसमें ब्लेड का एक लाइन लगा होता है. यह पुआल काटने का काम करता है. इस मशीन में दो बॉक्स लगे हैं. एक में खाद और दूसरे में बीज रखा जाता है. इस मशीन से गेहूं, चना, मसूर और मटर की बुआई हो सकती है. यह मशीन 45 हॉर्स पावर या उससे ज्यादा पावर वाले ट्रैक्टर में काम करती है. यह 9 लाइन की मशीन है. एक बार में यह नौ पंक्तियों में बुआई करती है. इस मशीन में गहराई भी कम अधिक कर सकते हैं.
इस मशीन की कीमत करीब डेढ़ लाख रुपए है. इसे खरीदने पर बिहार सरकार सब्सिडी भी देती है. सब्सिडी कैटेगरी पर आधारित है. इसे कोई भी किसान खरीद सकते हैं. इस मशीन से बुआई करने पर उपज 10 से 15 प्रतिशत तक बढ़ जाती है.
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FIRST PUBLISHED :
September 23, 2024, 20:25 IST