आगरा: यहां की ऐतिहासिक रामलीला की शुरुआत साल 1880 में हुई थी. अब ये 144 साल पुरानी हो चुकी है. तब से लेकर अब तक इसमें कई बदलाव आ चुके हैं. पहले भगवान श्रीराम और उनके तीनों भाइयों के स्वरूप हाथी और बैलगाड़ी पर सवार होकर नगर भ्रमण करते थे, लेकिन अब वे रथ पर सवार होकर निकलते हैं.
इस साल राम बारात दोपहर 2 बजे से मिथिला नगरी के लिए रवाना हुई, जो पहली बार शाहगंज कोठी मीना बाजार में बनाई गई है. बारात में 100 से अधिक झांकियां और 20 बैंड शामिल हैं. जगह-जगह सांस्कृतिक कार्यक्रम और रंगारंग प्रस्तुतियां दी जा रही हैं. पूरी रात तक बैंड बाजों की धुन पर झांकियां शहर में नगर भ्रमण करेंगी.
1904 में रामलीला कमेटी का गठन
आगरा की रामलीला की विधिवत शुरुआत साल 1904 में रामलीला कमेटी के गठन के साथ हुई. इस कमेटी की स्थापना लाला भगवान डेरे वाले, लाला गिरिराज किशोर और मुंशी शिवनारायण ने की थी. शुरुआती दिनों में रामलीला की लीलाएं चौराहा बारह टोंटी (रावतपाड़ा) और लाला चन्नोमल की बारहदरी में होती थीं. वनवास के बाद की लीलाएं आगरा किले के सामने रामलीला मैदान में आयोजित की जाती थीं.
पहली बार शाहगंज कोठी मीना बाजार में सजा जनक महल
इस साल जनकपुरी का मेला उत्तर भारत का प्रसिद्ध मेला, कोठी मीना बाजार मैदान में आयोजित किया गया है. यहीं पर जनक महल भी सजाया गया है. राम बारात में अनेक सुंदर झांकियां प्रस्तुत की गई हैं, जिनमें शहीद कैप्टन शुभम गुप्ता की झांकी विशेष आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. बारात मनकामेश्वर मंदिर से निकलकर कोठी मीना बाजार स्थित जनक महल पहुंचेगी, जहां राम बारात का स्वागत किया जाएगा.
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं. शहर के हर कोने में पुलिस बल तैनात किया गया है. जिले के आलाधिकारी राम बारात के दौरान हर गतिविधि पर कड़ी नजर रख रहे हैं ताकि सुरक्षा में कोई चूक न हो.
FIRST PUBLISHED :
September 30, 2024, 10:57 IST