पीली कोठी
बुलंदशहर: बुलंदशहर जिले के छतारी कस्बे में स्थित “पीली कोठी” अपने आप में एक अनोखी और ऐतिहासिक धरोहर है. यह कोठी उस जमाने की है जब लोगों के पास पक्के मकान तक नहीं हुआ करते थे. लगभग 300 साल पुरानी इस कोठी को स्थानीय लोग “फूल की बगिया” के नाम से भी जानते हैं. पीली कोठी अपनी शानदार बनावट और विशालता के कारण छतारी कस्बे की एक प्रमुख पहचान रही है. हालांकि, आज यह खंडहर में तब्दील हो चुकी है, फिर भी इसका आकर्षण कम नहीं हुआ है. लोग दूर-दूर से इसे देखने आते हैं.
पीली कोठी के शानदार बाग
छतारी के स्थानीय निवासी हाजी अबरार सिद्दीकी बताते हैं कि पीली कोठी के अंदर कभी शानदार बगीचे हुआ करते थे, जिसमें गुलाब, गेंदा, सूरजमुखी, और कमल जैसे फूलों की कई किस्में पाई जाती थीं. इसके साथ ही, यहां आम, संतरा, अनानास, और चीकू जैसे फलों की भी भरमार थी. इस बाग की शोहरत पूरे जिले में फैली हुई थी. यह स्थान उस समय के लिए एक अद्वितीय बाग-बगीचा हुआ करता था.
खंडहर में तब्दील हुई कोठी
वर्तमान समय में पीली कोठी खंडहर में बदल गई है. इसकी भव्यता का अब केवल अंश ही शेष रह गया है. कुछ समय पहले तक यहां “मेहमूदिया” नामक एक स्कूल भी चला करता था, लेकिन उसके बंद हो जाने के बाद से इसकी देखरेख करने वाला कोई नहीं बचा. धीरे-धीरे यह कोठी खंडहर में बदल गई और अब यहां टूटी दीवारों के अलावा कुछ नहीं बचा है.
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पीली कोठी की वास्तुकला
लोगों का कहना है कि पीली कोठी का निर्माण उस समय के राजा-महाराजाओं के किलों की तरह किया गया था. इसका आकार विशाल था और पूरे कोठी में चार मुख्य दरवाजे हुआ करते थे. जब यह कोठी बनी थी, तब इसे बेहद खूबसूरत तरीके से सजाया गया था. यह अपनी आकर्षक बनावट के लिए प्रसिद्ध थी.
छतारी की पीली कोठी एक ऐसी धरोहर है जो न केवल छतारी कस्बे के इतिहास को दर्शाती है, बल्कि यह उस समय की जीवनशैली और स्थापत्य कला का प्रतीक भी है. हालांकि आज यह खंडहर में बदल चुकी है, लेकिन इसके पीछे छुपी कहानियां और इतिहास इसे आज भी खास बनाते हैं.
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FIRST PUBLISHED :
October 9, 2024, 12:39 IST