मंदिर
सागर: मध्य प्रदेश के सागर में एक गांव है हथखोह. गांव के बाहर जंगल हैं, जंगल में देवी मां का प्राचीन सिद्ध मंदिर है, जिसमें झारखंडन माता विराजमान हैं. यहां की मान्यता है कि अगर ब्राह्मण पुजारी रखा जाए, तो माता नाराज हो जाती हैं और पुजारी के साथ अनहोनी हो जाती है. इसलिए सदियों से आदिवासी समुदाय के लोग ही पुजारी बनकर मंदिर में पूजा अर्चना करते आ रहे हैं. माता के मंदिर में आकर दर्शन करने और सच्चे मन से प्रार्थना करने पर मनोकामना पूर्ण होती है. संतान प्राप्ति के लिए यहां हल्दी के उल्टे हाथ लगाए जाते हैं.
ब्राह्मण पुजारी की नियुक्ति और अनहोनी
400 साल पुराने मंदिर में शुरू से ही आदिवासी लोग पुजारी बनकर माता की सेवा करते आ रहे थे. कुछ सालों पहले गांव के लोगों द्वारा सलाह करके एक ब्राह्मण को पुजारी बनाकर रख लिया गया था. ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ रहने लगा और उन्होंने माता की सेवा करना शुरू कर दी, लेकिन एक दिन सुबह गांव के लोगों को जानकारी मिली कि ब्राह्मण और उनकी पत्नी मंदिर में लहू लोहान हालत में घायल पड़े हैं. गांव के सभी लोग मंदिर पहुंचे, तो पता चला कि डाकुओं ने रात में हमला कर दिया था. इस घटना को सुनकर पूरे गांव वाले अचंभित थे, क्योंकि यहां पर ऐसा पहली बार हुआ था.
परंपरा बदलने से माता नाराज
मंदिर के वर्तमान पुजारी छोटेलाल आदिवासी ने लोकल 18 को बताया कि उस समय गांव के बुजुर्गों ने जब मंथन किया तो यह बात सामने आई कि माता की पूजा की परंपरा बदलने की वजह से ऐसा हुआ है. माता नाराज हो गई हैं, इसलिए अब जैसी परंपरा चल रही थी, वैसे ही चलेगी. इसके बाद से दोबारा फिर आदिवासी को ही पुजारी बनाकर वहां पर रखा गया. घटना के बाद से तीन पुजारी बदले जा चुके हैं और ऐसी कोई अनहोनी दोबारा नहीं हुई है.
नवरात्रि का मेला और श्रद्धालु
बता दें कि नवरात्रि के समय पर यहां मेला लगता है और दूर-दूर से श्रद्धालु माता के दर्शन को पहुंचते हैं. यह मंदिर देवरी विधानसभा के गौरझामर ब्लॉक में आता है, नेशनल हाईवे 44 पर चिरचिटा गांव से करीब 4 किमी का रास्ता है.
Tags: Local18, Madhya pradesh news, Sagar news, Special Project
FIRST PUBLISHED :
October 3, 2024, 09:47 IST