उज्जैन. हिंदू धर्म में नवरात्रि का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. आज से शारदीय नवरात्रि शुरू हो चुके हैं, सनातन धर्म में नवरात्रि पर्व का विशेष महत्व है. नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है. माता रानी पूरे नौ दिन के लिए धरती लोक पर अपने भक्तों को आशीर्वाद देने लिए आती हैं. माता को प्रसन्न करने के लिए भक्त कई तरह के उपाय अपनाते हैं. वहीं नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना और जौ बोने का विधान है. तो आइए जानते हैं उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज से कि जौ क्यों बोई जाती है.
धार्मिक मान्यताएं हैं कि जब ब्रह्मा जी ने इस धरती की रचना की थी तब सबसे पहले जौ ही विकसित होने वाली फसल थी. जौ घर में बोने पर उसके ऊपर आने वाली हरी पत्तियां हमारे घर के धन-धान्य और समृद्धि को दर्शाती हैं. वहीं इसके उलट यदि ये जौ हरे होने की बजाए पीले पड़ जाएं तो ये अशुभ भी माने जाते हैं. नवरात्रि के पहले दिन मां के सामने ये जौ बोए जाते हैं और मां 9 दिनों तक अपना आर्शीवाद परिवार पर बरसाती हैं.
जौ बोए जाने की विधि
नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना के बाद एक मिट्टी के पात्र में शुद्ध मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोए जाते हैं. इस पात्र को देवी के समक्ष स्थापित किया जाता है और प्रतिदिन इसे जल अर्पित किया जाता है. जौ के बीजों का उगना जीवन में नई ऊर्जा, उन्नति और शुभता का प्रतीक होता है. जौ का जितना तेजी से और अच्छी तरह से अंकुरण होता है, उसे घर-परिवार के लिए उतना ही शुभ माना जाता है. नवरात्रि के इस अनुष्ठान को हर घर में शुभता, समृद्धि और उन्नति की प्राप्ति के लिए किया जाता है, जिससे व्यक्ति अपने जीवन में नई शुरुआत कर सके.
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FIRST PUBLISHED :
October 3, 2024, 11:41 IST
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