दीपक पांडेय/खरगोन: मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के भावसार क्षत्रिय समाज में 406 वर्षों से एक अनूठी परंपरा निभाई जा रही है. गुरुवार की मध्यरात्रि इसी परंपरा के अंतर्गत माता अंबे की सवारी निकाली गई, जिसमें माता ने एक हाथ में जलता हुआ खप्पर और दूसरे में तलवार लेकर भक्तों को दर्शन दिए. यह दृश्य बेहद अद्भुत और भक्तों के लिए आस्था से भरपूर था.
माता अंबे का खास अंदाज सुबह 4:15 बजे माता अंबे सजी-धजी सवारी में प्रकट हुईं और निमाड़ी गरबियों पर करीब 45 मिनट तक रमती रहीं. इस दौरान उपस्थित श्रद्धालुओं ने माता के जयकारे लगाए और भक्तिमय वातावरण में डूब गए. हर साल की तरह इस बार भी माता अंबे के इस स्वरूप ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा.
परंपरा की ऐतिहासिकता
खप्पर आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. मोहन भावसार ने लोकल 18 से बात करते हुए इस परंपरा के बारे में बताया कि इसे उनके पूर्वजों ने शुरू किया था और आज तक यह समाज की धरोहर बनी हुई है. उन्होंने कहा, हमारे पूर्वजों ने यह परंपरा हमें सौंपी है और हम इसका पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ निर्वाह कर रहे हैं. कार्यक्रम की शुरुआत 400 साल पुराने झाड़ की विशेष पूजा-अर्चना से हुई, जिसके बाद सबसे पहले भगवान श्री गणेश की सवारी निकाली गई.
आयोजन का आकर्षण
माता अंबे का स्वांग इस बार मनोज मधु भावसार और आयुष सुनील भावसार ने धारण किया, जबकि गणेश जी का स्वांग आयुष भार्गव और प्रीत भार्गव ने निभाया. दोनों स्वांगों को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्र हुए. आयोजन भावसार मोहल्ला स्थित श्री सिद्धनाथ महादेव मंदिर प्रांगण में संपन्न हुआ.
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महाकाली की सवारी का होगा समापन
आयोजन समिति मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र भावसार (लाला) ने बताया कि आज नवमी की रात, माता महाकाली की सवारी निकाली जाएगी, जो खप्पर की परंपरा का अंतिम चरण होगा. इस सवारी में माता महाकाली अपने विशेष रूप में भक्तों को दर्शन देंगी. श्रद्धालुओं में इस सवारी को लेकर खास उत्साह देखा जा रहा है.
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FIRST PUBLISHED :
October 11, 2024, 16:47 IST