52 परत वाली इस मिठाई की लग्न में बढ़ी डिमांड, जानें खासियत व रेसिपी

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हजारीबाग. शादी का सीजन जोरों पर है. आमतौर पर शादी में कई प्रकार की मिठाई प्रचलन में रहती हैं. लग्त तय होने से लेकर शादी और फिर लड़की की विदाई तक मिठाई का विशेष महत्व होता है. लेकिन शादी में खाजा मिठाई की विशेष उपयोगिता है. दूल्हे और दुल्हन के परिवार में लेनदेन के समय खाजा मिठाई खास तौर पर दिया जाता है.

वैसे तो खाजा मिठाई का नाम सुनते ही लोग बिहार के सिलाव को याद करते हैं. यही कारण है इसे सिलाव खाजा भी कहा जाता है. लेकिन हजारीबाग की एक गली इस खाजा मिठाई के लिए खासी प्रसिद्ध है. लोग इसे खाजा गली भी कहते हैं. यहां आधे दर्जन से अधिक दुकानों में साल भर खाजा मिठाई बनायी और बेची जाता है. इस गली में किसी भी दुकान पर बोर्ड नहीं दिखेगा. लेकिन लोग इस मिठाई की तलाश में यहीं पहुंचते हैं.

इसी गली में एक खाजा स्टोर के संचालक नेमचंद कुमार गुप्ता ने लोकल18 को बताया कि इस गली में दुकानों का संचालन करने वाले लोग एक ही परिवार के हैं. 1972 में उनके दादा ने इस काम को शुरू किया था. धीरे-धीरे काम चल निकला. परिवार जब बड़ा हुआ तो लोग अलग-अलग दुकान खोलने लगे. यहां पर 1972 से ही खाजा बनाने का काम चल रहा है. खाजा के अलावा यहां गुजिया, अनरसा और तिलकुट भी बनाया जाता है. अभी खाजा 160 और 200 रुपए किलो है. 160 रुपए किलो वाले खाजे नॉर्मल खड़ा होता है. वहीं 200 किलो वाला खाजा गोल होता है.

नेमचंद गुप्ता आगे बताते है कि शादी के लग्न को देखते हो उनकी दुकान रोजाना लगभग 100 किलो खाजा तैयार होता है. इसी गली में आधा दर्जन दुकान है. इस लिहाज से लगी में रोजाना 5 क्विंटल से अधिक खाजे की खपत है. जो हजारीबाग, कोडरमा, रामगढ़, चतरा यदि जिलों तक सप्लाई की जाती है. लग्न में डिमांड अधिक होने के कारण बिहार के गया से खास तौर पर कारीगर बुलाए जाते हैं. जो सुबह से शाम तक यहां खाजा बनाने का काम करते हैं.

ऐसे तैयार होता है खाजा
खाजा बनाने वाले कारीगर संतोष कुमार बताते हैं कि खाजा कई परत की मिठाई होता है. एक खाजा में 52 परत होती है. इस मिठाई को बनाने के लिए सबसे पहले गेहूं के आटा और मैदा में मावा व डालडा मिक्स किया जाता है. इसके बाद लोई बनाकर इसे बेलकर लंबा किया जाता है. फिर उसे कई तह में मोड़ा जाता है. इसके बाद बेलकर खाजा का आकार दिया जाता है. गरमा गरम तेल में छानकर चीनी की पतली चाशनी में डालते हैं. चाशनी से निकालकर कुछ देर हवा लगाया जाता है. फिर इसे खाया जा सकता है.

FIRST PUBLISHED :

November 27, 2024, 10:42 IST

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