Last Updated:January 30, 2025, 13:18 IST
Budget 2025: बजट से पहले विशेषज्ञों ने MSMEs सेक्टर के लिए 100 करोड़ रुपये तक के लोन को समाहित करने वाली एक नई लोन गारंटी योजना की मांग की है. इससे इन्वेस्टमेंट, मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने में ...और पढ़ें
हाइलाइट्स
- एमएसएमई के लिए 100 करोड़ की लोन गारंटी योजना की मांग.
- नई योजना से निवेश, मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट को बढ़ावा मिलेगा.
- एमएसएमई को आधुनिक मशीनरी में निवेश के लिए समर्थन मिलेगा.
Budget 2025: आम बजट 2025 पेश होने में अब दो दिन का समय और बचा है. 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी. इससे पहले आम आदमी के साथ-साथ अलग सेक्टर व संगठन अपनी मांग जाहिर कर रहे हैं. इसी कड़ी में निर्यातकों का कहना है कि एमएसएमई क्षेत्र के लिए 100 करोड़ रुपये तक के लोन को समाहित करने वाली एक नई लोन गारंटी योजना की शुरूआत से इन्वेस्टमेंट, मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि निर्यात से जुड़े एमएसएमई के लिए पर्याप्त वित्तपोषण की कमी लंबे समय से एक चुनौती रही है, जिससे वैश्विक बाजारों में उनकी प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता सीमित हो रही है.
वित्त मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान में कहा कि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए शुरू म्यूचुअल क्रेडिट गारंटी योजना (एमसीजीएस-एमएसएमई) का उद्देश्य उपकरणों की खरीद के लिए पात्र उद्यमों को स्वीकृत 100 करोड़ रुपये तक की ऋण-सुविधा देने के लिए ‘सदस्य उधारी संस्थानों’ (एमएलआई) को राष्ट्रीय क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (एनसीजीटीसी) से 60 प्रतिशत गारंटी कवरेज देना है.
भारतीय निर्यात संगठन की मांग
इस योजना का लाभ उठाने के लिए एमएसएमई को कुछ शर्तें पूरी करनी होंगी. उधारकर्ता को वैध उद्यम पंजीकरण संख्या वाला एमएसएमई होना चाहिए, गारंटीकृत ऋण राशि 100 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए और उपकरणों की न्यूनतम लागत परियोजना लागत का 75 प्रतिशत होनी चाहिए. भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा, ”यह योजना हमारे सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों, विशेष रूप से विनिर्माण और निर्यात में शामिल उद्यमों की वित्तीय पहुंच को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगी.”
उन्होंने कहा कि इस योजना से एमएसएमई को अब आधुनिक मशीनरी और उपकरणों में निवेश करने के लिए बहुत जरूरी समर्थन मिलेगा. अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ और हाई-टेक गियर्स के चेयरमैन दीप कपूरिया ने कहा कि यह योजना सरकार द्वारा समय पर की गई नीति घोषणा है. उन्होंने कहा, ”विनिर्माण को बढ़ावा देने और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के वर्तमान पुनर्गठन पर भारत के ध्यान को देखते हुए, एमएसएमई को ऋण देने की यह नीति वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में उनके एकीकरण को बढ़ाएगी.”
कपूरिया ने कहा कि इससे इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र को विशेष रूप से मदद मिलेगी, जहां भारत अपने घटक विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है. परिधान निर्यात संवर्धन परिषद (एईपीसी) के महासचिव मिथिलेश्वर ठाकुर ने कहा कि इससे एमएसएमई की विनिर्माण क्षमता को बढ़ाने और भारत के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण की हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद मिलेगी.
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First Published :
January 30, 2025, 13:18 IST