Chilli Farming: इस मिर्च ने कर दी किसानों की मौज, लाखों की कर रहे हैं कमाई

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इस मिर्च की क्यों है बाजारों में अधिक मांग, इसकी खासियत आपको कर देगी हैरान

अरविंद दुबे, सोनभद्र: कहते हैं, “जहां चाह, वहां राह.” इसी आदर्श वाक्य को अपनाते हुए सोनभद्र के कई किसानों ने अपनी पारंपरिक खेती को बदलकर नकदी फसलों की ओर रुख किया है. धान, गेहूं, ज्वार, बाजरा जैसी फसलों के साथ अब वे मिर्च जैसी नकदी फसल की खेती कर रहे हैं, जिससे उन्हें भारी मुनाफा हो रहा है. 35-40 हजार रुपये की लागत से किसान अब तीन से चार लाख रुपये तक की कमाई कर रहे हैं. इन प्रगतिशील किसानों को देखकर अन्य किसान भी इस प्रकार की खेती अपनाने लगे हैं.

मिर्च की खेती से लाखों की कमाई
सोनभद्र के कई किसानों ने मिर्च की खेती में कामयाबी पाई है. मिर्च की तिताई (तीखेपन) के बावजूद किसान इसमें अपनी जिंदगी का मीठा स्वाद ढूंढ रहे हैं. नई पीढ़ी भी मिर्च की खेती में काफी रुचि दिखा रही है. कई युवा स्नातक और परास्नातक करने के बाद खेती में हाथ आजमा रहे हैं, और नौकरी की बजाय अपनी मेहनत और हुनर को खेती में लगाकर आत्मनिर्भर जीवन जी रहे हैं.

पारंपरिक खेती से नकदी फसलों की ओर रुख
सोनभद्र में करीब सवा लाख हेक्टेयर खेती योग्य भूमि पर पहले धान, गेहूं, मटर, अलसी, अरहर, ज्वार, बाजरा, उरद और मक्के की खेती होती थी. लेकिन बढ़ती महंगाई के चलते फसलों की कीमत में वैसी बढ़ोतरी नहीं हुई, जिससे खेती घाटे का सौदा बनने लगी. इसी कारण कई किसानों ने पारंपरिक खेती छोड़ मिर्च जैसी नकदी फसलें उगाना शुरू कर दिया.

धान की तुलना में मिर्च की खेती दोगुना मुनाफा दे रही है. जहां धान की फसल से डेढ़ बीघे की जमीन पर 30 से 35 हजार रुपये की कमाई होती है, वहीं मिर्च की खेती से यह मुनाफा कई गुना बढ़ जाता है.

6013 मिर्च बनी किसानों की पसंद
Local 18 से खास बातचीत में युवा किसान विजय मौर्या ने बताया कि 6013 मिर्च इस सीजन में किसानों की पहली पसंद बन गई है. इसका मुख्य कारण है कि यह मिर्च कम समय में तैयार होती है और उपज भी अच्छी होती है. इसके साथ ही बाजार में इसे अच्छे दाम मिलते हैं. विजय ने बताया कि उनकी फसल खेत से ही लोकल आढ़तियों द्वारा खरीदी जाती है, जो इसे अन्य राज्यों की मंडियों में बेचते हैं. किसानों को फसल का पैसा मौके पर ही मिल जाता है.

विजय मौर्या ने यह भी बताया कि 6013 मिर्च 60 से 90 दिनों में तैयार हो जाती है और तीन से चार महीनों तक फल देती है. इसके बाद मिर्च को पकने के लिए छोड़ दिया जाता है, जिसे बाद में भी बेचा जा सकता है.

मिर्च की खेती में नई संभावनाएं
हाल के दिनों में सोनभद्र के कई किसान पारंपरिक खेती छोड़कर मिर्च जैसी नकदी फसलों की ओर बढ़ रहे हैं. इस बदलाव से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है, और कई किसान मिर्च की खेती में अपनी जिंदगी की मिठास ढूंढ रहे हैं.

Tags: Agriculture, Local18

FIRST PUBLISHED :

September 23, 2024, 16:35 IST

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