Dehradun Metro: 8 साल से फाइलों में दौड़ रही मेट्रो, जमीन पर नहीं लगी एक ईंट!

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8 साल से ज़मीन पर नहीं उतर सकी देहरादून मेट्रो

देहरादून : राजधानी देहरादून में मेट्रो कब दौड़ेगी ये कहना बेहद मुश्किल होगा. बीते 8 साल से सरकारी फाइलों में फर्राटे भरने वाली मेट्रो धरातल पर गायब दिख रही है. विगत सरकारों ने भी देहरादून को जाम मुक्त करने और लोगों के लिए सार्वजनिक यातायात सुविधाओं को बढ़ाने का वादा किया था. लेकिन अभी तक मेट्रो तो दूर की बात निर्माण कार्य की एक ईंट तक ज़मीन पर नहीं दिखाई दी. आलम ये है कि ये मेट्रो प्रोजेक्ट सिर्फ बैठक और चर्चाओं तक ही सीमित है. आइए समझते हैं ऐसा क्यों?

दून में मेट्रो प्रोजेक्ट के तहत नियो मेट्रो के संचालन के लिए केंद्र की चुप्पी के बाद से राज्य सरकार असमंजस में पड़ गई है. हालांकि इस प्रोजेक्ट के लिए फंड जुटाने का प्रस्ताव सार्वजनिक निवेश बोर्ड(पीआईबी) को दिया है. 2017 से ये योजना अधर में अटकी पड़ी है. वहीं राज्य के वित्त विभाग के अधिकारी इस परियोजना को खर्चीला बता रहे हैं. मेट्रो प्रोजेक्ट के मुख्य खर्चों की बात की जाए तो अबतक 35 करोड़ रु. से ज्यादा का बजट खर्च हो चुका है.

मेट्रो तो दूर की बात एक ईंट तक नहीं
मेट्रो प्रोजेक्ट में देरी के कारण इसकी लागत में भी बढ़ोतरी हो रही है. शुरुआत में जब नियो मेट्रो परियोजना की परिकल्पना दी गई तो इसकी लागत तकरीबन 1852 करोड़ रु. आंकी गई लेकिन देरी के कारण मौजूदा समय में यह लागत 2,303 करोड़ रु. तक पहुंच गई. लोकल18 ने वरिष्ठ पत्रकार एस.एम.ए. काज़मी से इस मुद्दे पर कहा कि विगत कुछ वर्षों में देहरादून की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में ट्रैफिक का लोड भी सड़कों पर दिखाई देता है. हालात ये हैं कि सड़कें वहीं हैं लेकिन उन पर भार बढ़ गया है. इस दृष्टि से शहर में मेट्रो चलाने की बात तो ठीक थी, लेकिन सवाल वही है कि आखिर ये कब धरातल पर उतरेगी. तमाम सरकारों ने इसको लेकर घोषणाएं और वायदे किए. मगर मेट्रो तो दूर की बात, एक ईंट तक दिखाई नहीं देती है.

2017 में तैयार हुआ था प्लान
नियो मेट्रो को उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने मुफीद माना है. प्रबंधक निदेशक जितेंद्र त्यागी के अनुसार अगर मेट्रो का संचालन शहर में शुरु होगा तो सालभर में इससे तकरीबन 670 करोड़ रु, की आय हो सकती है. दावा है कि शुरुआत से दिन से ही यह योजना मुनाफे में रहेगी. गौरतलब है कि नियो मेट्रो परियोजना में शहर में 2 कारीडोर तैयार किए जाने हैं, जिसकी कुल लंबाई तकरीबन 23 किलोमीटर होगी और 25 स्टेशन का निर्माण होगा. गौरतलब है कि 2017 में उत्तराखंड मेट्रो कॉरपोरेशन बोर्ड का गठन भी किया गया था. उत्तराखंड मेट्रो बोर्ड के पहले अध्यक्ष के तौर पर दिल्ली मेट्रो से एक अनुभवी अधिकारी जितेंद्र त्यागी को मेट्रो कॉरपोरेशन का एमडी भी नियुक्त किया गया था. बावजूद इसके देहरादून में मेट्रो आज भी सपना ही बनी हुई है.

क्या है नियो मेट्रो?
केंद्र सरकार ने मेट्रो नियो परियोजना ऐसे शहरों के लिए प्रस्तावित की है, जिनकी आबादी 20 लाख तक है. यह परियोजना परंपरागत मेट्रो के मुकाबले अधिक किफायती है, क्योंकि इसकी लागत 40 प्रतिशत तक कम आती है. इसके अलावा, इसके लिए स्टेशन परिसर के लिए बड़ी जगह की भी जरूरत नहीं होती.

Tags: Dehradun news, Local18, Uttarakhand news

FIRST PUBLISHED :

November 20, 2024, 13:04 IST

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