नई दिल्ली. अमेरिकी अरबपति एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक (Starlink) ने डायरेक्ट-टू-सेल नामक टेक्नोलॉजी पेश की है. इस टेक्नोलॉजी में मोबाइल से टैक्स्ट और वॉयस मैसेज करने तथा इंटरनेट का इस्तेमाल करने के लिए न सिम कार्ड की जरूरत होती है और न ही मोबाइल टावर की. सरल शब्दों में कहें तो डायरेक्ट-टू-सेल (DTC) टेक्नोलॉजी सैटेलाइट वह संचार प्रणाली है जो स्मार्टफोनों को सीधे सैटेलाइट्स से जोड़ने की अनुमति देती है, जिससे उपयोगकर्ता बिना किसी पारंपरिक मोबाइल टावर के कॉल, टेक्स्ट और इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकते हैं.
डायरेक्ट-टू-सेल टेक्नोलॉजी के लिए न तो खास मोबाइल हैंडसेट की जरूरत होगी और न ही मोबाइल फोन में स्पेशल हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर डालना होगा. यानी आपके पास जो मोबाइल है, वो ही सैटेलाइट से जुड़ने में सक्षम होगा. यह तकनीक के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सैटेलाइट्स में विशेष eNodeB मोडेम होते हैं, जो मोबाइल फोन टावर की तरह कार्य करते हैं, लेकिन ये स्पेस में होते हैं. ये सैटेलाइट्स सीधे स्मार्टफोनों को सिग्नल भेजते हैं, जिससे उपयोगकर्ताओं को दूरदराज के क्षेत्रों में भी कनेक्टिविटी मिल जाएगी.
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कब लॉन्च हुई डीटीसी
स्टारलिंक की डायरेक्ट-टू-सेल सेवा का पहला सेट 2 जनवरी 2024 को लॉन्च किया गया था. अभी इसके जरिए केवल टेक्स्ट भेजा गया है. यह सेवा 2025 में टेक्स्टिंग और कॉलिंग के साथ-साथ डेटा सेवाओं के लिए पूरी तरह से सक्रिय हो जाएगी. स्पेसएक्स बड़े पैमाने पर डायरेक्ट टू सेल क्षमता वाले स्टारलिंक उपग्रहों की तैनाती अंतरिक्ष में कर रहा है. डायरेक्ट टू सेल उपग्रहों को शुरू में स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट और फिर स्टारशिप पर लॉन्च किया जाएगा. कक्षा में उपग्रह वैश्विक कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए तुरंत लेजर बैकहॉल के माध्यम से स्टारलिंक तारामंडल से जुड़ जाएंगे.
कई टेलीकॉम ऑपरेटरों के साथ की सांझेदारी
एलन मस्क की कंपनी Starlink ने दुनिया के कई देशों के टेलीकॉम ऑपरेटर्स के साथ डायरेक्ट-टू-सेल तकनीक को लागू करने के लिए साझेदारी की है ताकि मौजूदा मोबाइल नेटवर्क के साथ-साथ यूजर्स को सैटेलाइट कनेक्टिविटी भी मिल सके. स्टारलिंक ने टी-मोबाइल (यूएसए), ऑप्टस (ऑस्ट्रेलिया), रोजर्स (कनाडा), वन एनजेड (न्यूजीलैंड), केडीडीआई (जापान), साल्ट (स्विट्जरलैंड), एनटेल (चिली) और एनटेल (पेरू) के साथ समझौता किया है.
इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) में आएगी क्रांति
स्टारलिंक की डायरेक्ट-टू-सेल टेक्नोलॉजी इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) के क्षेत्र में एक नया अध्याय लिखेगी, ऐसा जानकारों का मानना है. इस टेक्नोलॉजी के जरिए एक साथ लाखों डिवाइस को सैटेलाइट से जोड़ने में मदद मिलेगी. लॉजिस्टिक, एग्रीकल्चर और रिमोट मॉनिटरिंग में इससे काफी मदद मिलेगी. इस टेक्नोलॉजी का फायदा इमरजेंसी के दौरान होगा, जिसमें बिना नेटवर्क कवरेज वाले एरिया से भी कनेक्टिविटी स्थापित की जा सकेगी.
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FIRST PUBLISHED :
November 27, 2024, 10:21 IST