वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज शुक्रवार को वित्त वर्ष 2024-25 की आर्थिक समीक्षा पेश करेंगी। यह समीक्षा चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन के आकलन के साथ देश के सामने आने वाली चुनौतियों को बयां करती है। केंद्रीय बजट से पहले संसद में पेश होने वाली आर्थिक समीक्षा सुधारों और विकास का खाका भी प्रदान करती है। मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन के नेतृत्व वाली टीम ने समीक्षा को तैयार किया है। यह अगले वित्त वर्ष के लिए दृष्टिकोण प्रदान करने के अलावा अर्थव्यवस्था और विभिन्न क्षेत्रों में विकास की रूपरेखा को बयां करती है।
इकोनॉमिक सर्वे में क्या होगा खास
इकोनॉमिक सर्वे में धीमी वृद्धि, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर में गिरावट और खपत के लिए कम मांग जैसी प्रमुख गतिविधियों के बारे में विस्तार से आकलन प्रदान किये जाने की उम्मीद है। गरीबी उन्मूलन, जलवायु परिवर्तन, शिक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास और वित्तीय क्षेत्र से संबंधित चुनौतियों को लेकर समीक्षा में प्राय: नये और लीक से हटकर विचार दिये जाते हैं। वित्त मंत्री शनिवार को नरेन्द्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का दूसरा बजट पेश करेंगी। बजट सत्र आज शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक को संबोधित करने के साथ शुरू होगा। सत्र का पहला भाग 13 फरवरी को समाप्त होगा और दूसरा भाग 10 मार्च को शुरू होगा और सत्र चार अप्रैल को समाप्त होगा।
क्या है इकोनॉमिक सर्वे का महत्व?
इकोनॉमिक सर्वे से देश की आर्थिक स्थिति का पता चलता है। यह एक तरह से पॉलिसी मेकर्स को गाइड भी करता है। इकोनॉमिक सर्वे में बीते वर्षों में देश की आर्थिक स्थिति का विश्लेषण किया जाता है। इस दस्तावेज में इकोनॉमी से जुड़ी समस्याओं और चुनौतियों की भी समीक्षा होती है। इकोनॉमिक सर्वे में जीडीपी ग्रोथ, महंगाई दर, वित्तीय घाटे और रोजगार जैसे महत्वपूर्ण आंकड़ों के बारे में विस्तार से बताया जाता है।